मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि साठ और सत्तर के दशक में भारत में जो पहली हरित क्रांति हुई उसका लाभ पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों को मिला जबकि बिहार और पूर्वी भारत के क्षेत्र इससे वंचित रह गये.
उन्होंने यहां एक कृषि मेले में कहा, ‘बिहार के पास खान-खदान नहीं है. उपजाउ भूमि ही यहां के किसानों की पूंजी है और कृषि उत्पादन के मामले में बिहार को अव्वल बनाना है.’ नीतीश ने कहा कि उनका एक सपना है कि भारत के घर घर में बिहार का कृषि उत्पाद पहुंचे. देश भर की थाली में बिहार का व्यंजन हो और इस सपने को पूरा करना है. यह महज सपना नही है बल्कि इसे साकार करना संभव है.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 तक बिहार को विकसित राज्य बनाने में कृषि विकास की बड़ी भूमिका होगी.
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में खेती को उन्नत बनाने के लिए राज्य सरकार ने कृषि का रोडमैप तैयार किया है जिसका उद्देश्य किसानों को बीज देने से लेकर उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराना है, जिससे उन्हें लाभ मिले.
उन्होंने कहा कि मौसम में आया बदलाव किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है. कभी जल्दी बारिश होती है और कभी देर से. बीते दो वर्ष से बिहार में सूखे जैसी स्थिति है. मौसम का मिजाज बदल रहा है इसलिए कृषि वैज्ञानिकों को अनुसंधान कर इस समस्या का समाधान निकालने को कहा गया है.
नीतीश ने कहा कि पहली हरित क्रांति में मात्रा और उत्पादन पर जोर था अब गुणवत्ता पर अधिक ध्यान दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि बिहार में कृषि की अपार संभावनाएं हैं और सरकार कृषि रोडमैप से कृषि उत्पादन को बढ़ायेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसानों की मदद में पारदर्शिता लायेगी और बिचौलियों से छुटकारा दिलायेगी. केंद्र प्रायोजित योजनाओं में सरकार अपने तय अंशदान को बढ़ाकर मदद दे रही है. कृषि योजना में भी परिवर्तन किया गया है. अब बैंकों के माध्यम से नहीं बल्कि सरकार सीधे किसानों को अनुदान दे रही है.
उन्होंने कहा कि किसान मदद योजनाओं को लोकप्रिय बनाने की कोशिश की गयी है.