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बिकिनी आजादी का प्रतीक नहीं है: जर्मेन ग्रीअर

यह ब्रिटेन के लिए शायद चिंता का विषय है कि उनकी लड़कियां इस्लाम को अपना रही हैं. जब वह इस्लाम को अपनाती हैं तो बुर्का भी अपना लेती हैं. ऐसा क्यों हो रहा है?

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यह ब्रिटेन के लिए शायद चिंता का विषय है कि उनकी लड़कियां इस्लाम को अपना रही हैं. जब वह इस्लाम को अपनाती हैं तो बुर्का भी अपना लेती हैं. ऐसा क्यों हो रहा है? महिलाओं का कहना है कि वे ऐसा इसलिए कर रही हैं कि इससे शायद वे पुरुषों की गंदी नजर से बच जाएं. कैसा अनोखा विचार है, कि बुर्का आजादी दिला सकता है.

मुझे कहना होगा कि बिकिनी आजादी का प्रतीक नहीं है. भला कपड़े के बेहूदे तीन टुकड़े शरीर के उत्तेजक हिस्सों को पूरी तरह कैसे ढक सकते हैं? मैं दावे से कह सकती हूं कि 99 फीसदी महिलाएं बिकिनी में भयानक दिखती हैं. और मैं बिना लाग लपेट के कह सकती हूं कि किसी का नितंब बुर्के में बड़ा नहीं दिख सकता.

जैसा कि आपको पता है कि अंग्रेज महिला इस दहशत में जीती है कि उसके नितंब बड़े न दिखें... मेरा उनसे कहना है कि आपको यह समझना होगा कि महिला एक ऐसा जीव है जिसका निचला हिस्सा भारी. भरकम ही होता है. तो बिकिनी पहनने के लिए आपको क्या करना होगाः पहला, आपका शरीर एक बच्चे या लड़के जैसा होना चाहिए. आपके स्तन हो सकते हैं लेकिन विडंबना है कि अगर वाकई आपका वजन कम हुआ है और निचले हिस्से में चर्बी नहीं है, तो आपके स्तन भी नहीं बचेंगे. और फिर आपको उन्हें खरीद कर ही लाना होगा.{mospagebreak}

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बुर्के के अंदर बिकिनी पहनना कोई अनोखी बात नहीं है, उनका चोली दामन का साथ है. बुर्का पहनने वालों की अहमियत बढ़ जाती है क्योंकि उन्होंने अंदर तो बिकिनी पहनी होती है.

बुर्का और बिकिनी एक जगह पर नहीं रह सकते. वो अपनी अपनी जगह पर ही रहें तो वो ज्‍यादा अच्छा है... और अगर किस्मत साथ दे, शायद, अगर समाज में दोनों की उपयोगिता कम हो जाती है (मुझे दोनों से ही नफरत है) तो दोनों ही कमजोर पड़ जाएंगी, किसी को न तो इसके लिए जुर्माना देना पड़ेगा, न किसी के पीछे कोई लगेगा और न किसी की बदतमीजी सहनी पड़ेगी.

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