मनरेगा योजना के डिलीवरी तंत्र में सुधार लाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी के जरिये धन के दुरूपयोग और भ्रष्टाचार को रोकने की भरपूर कोशिश की जा रही है."/> मनरेगा योजना के डिलीवरी तंत्र में सुधार लाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी के जरिये धन के दुरूपयोग और भ्रष्टाचार को रोकने की भरपूर कोशिश की जा रही है."/> मनरेगा योजना के डिलीवरी तंत्र में सुधार लाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी के जरिये धन के दुरूपयोग और भ्रष्टाचार को रोकने की भरपूर कोशिश की जा रही है."/>
मनरेगा योजना के डिलीवरी तंत्र में सुधार लाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी के जरिये धन के दुरूपयोग और भ्रष्टाचार को रोकने की भरपूर कोशिश की जा रही है.
प्रधानमंत्री ने मनरेगा के तहत काम करने वाले सभी मजदूरों का बायोमैट्रिक डाटाबेस तैयार किये जाने की भी घोषणा की और कहा कि इसका इस्तेमाल कार्य स्थल पर हाजरी दर्ज करने और मजदूरी के भुगतान जैसे कार्यों के लिए किया जायेगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे काम देने में भेदभाव, भुगतान में विलंब और फर्जी मस्टर रोल के मामलों में काफी कमी आ सकेगी.
प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) लागू होने के पांच वर्ष पूरे होने पर यहां विज्ञान भवन में आयोजित सम्मेलन में यह बात कही. उन्होंने कहा, ‘आने वाले समय में इस कानून को जमीनी स्तर पर लागू करने की चुनौतियां हमारे सामने हैं. हमें इस कार्यक्रम के डिलिवरी तंत्र में सुधार लाना है ताकि रोजगार का फायदा सभी ऐसे लोगों तक पहुंच जाये जो इसके सही मायनों में हकदार हैं.
आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘हम आधुनिक प्रौद्योगिकी के जरिये धन के दुरूपयोग और भ्रष्टाचार को रोकने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं इसमें सूचना के अधिकार कानून की भी अहम भूमिका होगी.’ समारोह में संप्रग की अध्यक्ष सोनिया गांधी, केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री विलास राव देशमुख ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन तथा अनेक राज्यों के मंत्रियों, सांसदों एवं वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया.{mospagebreak}
उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले प्रत्येक गरीब परिवार को साल में कम से कम सौ दिन के रोजगार की गारंटी देने वाली मनरेगा योजना की शुरूआत पांच साल पहले आज ही के दिन आंध्र प्रदेश के अननंतपुर जिले से हुई थी. शुरूआत में इस योजना को देश के दो सौ जिलों में लागू किया गया और आगे चल कर इसका विस्तार देश के सभी 625 जिलों में कर दिया गया.
इस पर इस साल 40 हजार करोड़ रूपये की राशि खर्च की जानी है. संप्रग की अध्यक्ष और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की प्रमुख सोनिया गांधी ने इस मौके पर मनरेगा योजना के क्रियान्वयन में कमियों पर चिंता जताई लेकिन इससे निपटने की जिम्मेदारी उन्होंने राज्य सरकारों पर डाली.
उन्होंने कहा, ‘ऐसी खबरें भी हैं कि इसका (मनरेगा का) पैसा दूसरे कार्यों में खर्च हो रहा है. फर्जी जाब कार्ड, फर्जी मस्टर रौल और मजदूरों के फर्जी नाम होने की सूचना सामने आयी है. निम्न स्तर के सामानों की खरीद और मजदूरी के भुगतान में विलंब की भी शिकायतें सामने आयी हैं.’
उन्होंने कहा कि जिला स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति के बावजूद शिकायतें सुनने और उन्हें दूर करने की मौजूदा व्यवस्था पूरी तरह से उत्तरदायी नहीं है. कार्य स्थलों पर बुनियादी सुविधायें, जो वहां होनी चाहिए संतोषजनक नहीं है. इसके चलते जितनी महिलाओं को काम के लिए आना चाहिए नहीं आ पातीं.{mospagebreak}
सोनिया ने कहा कि ऐसी कमियां है जिन पर राज्य सरकारों को गौर करना चाहिए और इन्हें दूर करने के लिए सख्त और फौरन कारवाई करनी चाहिए. उन्होंने सोशल आडिट को मजबूत बनाने की भी जरूरत बताई.