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कालेधन पर मनमोहन ने कहा, मैं नहीं ज्‍योतिषी

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक ऐसा वातावरण बनाने पर जोर दिया है, जिससे विदेशों में काला धन रखने वाले भारतीय उस देश में वापस ला सकें. काले धन के मसले पर सरकार लगातार आलोचनाएं झेल रही है.

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक ऐसा वातावरण बनाने पर जोर दिया है, जिससे विदेशों में काला धन रखने वाले भारतीय उस देश में वापस ला सकें. काले धन के मसले पर सरकार लगातार आलोचनाएं झेल रही है.

मनमोहन सिंह ने कहा कि अब भारत में ही कमाई करने के बड़े अवसर हैं , ऐसे में लोगों के लिए जिनके पास ज्यादा पैसा है उन्हें ‘ज्यादा कमाई की जगह लिए’ ढूंढने के लिए विदेश में जाने की जरूरत नहीं रह गयी है. मनमोहन सिंह जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘हमें ऐसा वातावरण बनाना होगा जिससे हमारे लोग खुद की काले धन को देश में लाने के लिए प्रोत्साहित हों. भारत अवसरों का देश है. अब लोगों को अपने अधिशेष धन को विदेशों में रखने की जरूरत नहीं है.’

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प्रधानमंत्री ने कहा कि सिर्फ यही दीर्घकालीन तरीका है जिससे विदेशी कर पनाहगाहों में धन के प्रवाह को हतोत्साहित किया जा सकता है. उनसे एक सवाल किया गया था कि कालेधन की पनाहगाह माने जाने वाले देशों में जमा काले धन को वापस लाने में सरकार को कितना समय लगेगा, अपने जवाब की शुरुआत ‘मैं ज्योतिषी नहीं हूं’ से करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत उन देशों के साथ काम कर रहा है. सिर्फ वे देश ही तय कर सकते हैं कि वे भारत के साथ किस हद तक सहयोग करेंगे.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम ज्यादा से ज्यादा देशों के साथ कर सूचनाओं के आदान-प्रदान पर काम कर रहे हैं. यह प्रक्रिया जारी है.’ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि वह यह नहीं जानते कि इस तरह का ‘तथाकथित काला धन कितना है’ यह कि क्या भारत के पास ऐसा पुख्ता तंत्र है कि विदेशों में जमा काले धन को वापस लाया जा सके. मनमोहन सिंह ने कहा कि उन्‍हें इस बात की बेहद खुशी है कि जी-20 के बयान में कर धोखाधड़ी और कर चोरी रोकने के लिए भारत की बैंकिंग पारदर्शिता और सूचनाओं के आदान प्रदान की मांग को शामिल किया गया है. ‘हमारे एजेंडा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.’

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शिखर सम्मेलन ने अपने आधिकारिक बयान में कर सूचनाओं के आदान प्रदान की महत्ता का रेखांकित करते हुए वैश्विक मोर्चों से इसमें सुधार के लिए कार्य किए जाने को प्रोत्साहित किए जाने की बात कही है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम सभी द्वारा कर संबंधी मामलों में आपसी प्रशासनिक सहयोग के बारे में बहुपक्षीय संधि पर दस्तखत की प्रतिबद्धता का स्वागत करते हैं.’

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