केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त पद पर पी सी थामस की नियुक्ति को खारिज करने के बाद उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को केन्द्र सरकार को एक और झटका देते हुए काला धन इकट्ठा करने वालों के खिलाफ कदम उठाने पर विफल रहने पर कड़ी फटकार लगायी और पूछा कि घोड़ा व्यापारी हसन अली खान और अन्य कथित दोषियों को हिरासत में लेकर पूछताछ क्यों नहीं की जा रही है जबकि जांच एजेन्सियों के पास इस मामले में पर्याप्त सबूत हैं.
सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रहमण्यम ने जब कुछ कहना चाहा तो उन्हें लगभग झिड़कते हुए अदालत ने पूछा, ‘इस देश में आखिर हो क्या रहा है.’ न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय के उन तीन प्रमुख अधिकारियों को तुरंत बहाल करने का निर्देश भी दिया जिनका विदेशी मुद्रा विनियमन कानून के उल्लंघन के मामले में पुणे के व्यवसायी हसन अली खान के खिलाफ जांच के बीच में ही कथित तौर पर तबादला कर दिया गया था. {mospagebreak}
न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी और एस एस निज्झर की पीठ ने यह भी संकेत दिया कि अगर सरकार कदम उठाने में विफल रही तो अदालत एक ऐसे विशेष अधिकारी की नियुक्ति करने को मजबूर होगी जो दोषियों के खिलाफ जांच की निगरानी कर सके.
शीर्ष अदालत ने यह भी जानना चाहा कि आखिर किस वजह से सरकार खान और काला धन जुटाने वाले अन्य लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ नहीं कर रही है. खान ने कथित तौर पर विदेशी बैंकों में आठ अरब अमेरिकी डालर इकट्ठा कर रखे हैं और उसे आयकर विभाग ने कर के रूप में 50 हजार करोड़ रुपये जमा करने का नोटिस दिया है.
पीठ ने दुख व्यक्त करते हुए कहा, ‘ऐसे उदाहरण भी हैं जब धारा 144 तोड़ने वाले छोटे जुर्म करने वालों को गोली मार दी गयी लेकिन आप ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते. हम बहुत दुखी हैं. ऐसे लोग अभी मुक्त घूम रहे हैं.’ {mospagebreak}
पीठ ने कहा कि यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि काले धन घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय के तीन महत्वपूर्ण अधिकारियों का जांच के बीच में तबादला कर दिया गया. पीठ ने केंद्र को मंगलवार तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. उसने कहा कि यदि केंद्र जवाब दाखिल करने में विफल रहा तो उसे मजबूर होकर जरूरी आदेश जारी करना पडेगा.
शीर्ष अदालत ने विदेश में रखे गए कालेधन और उसे लाए जाने के मुद्दे पर जाने माने वकील राम जेठमलानी और कुछ अन्य नौकरशाहों की याचिका पर 10 फरवरी को सुनवाई करते हुए सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि खान देश छोड़कर जाने न पाए.
जब सुब्रमण्यम ने शीर्ष अदालत को बताया था कि खान भारत में है और सरकार उसके खिलाफ जरूरी कदम उठा रही है तब उसने कहा था, ‘यह सुनिश्चित करना आपकी ड्यूटी है कि वह अभियोजन का सामना करने के लिए उपलब्ध हो.’ पीठ ने यह भी जानना चाहा कि क्या घोड़े के इस कारोबारी को उसके समक्ष चल रही सुनवाई में पक्षकार बनाया जा सकता है.