काले धन का सरगना पुणे का व्यवसाई हसन अली को को प्रवर्तन निदेशालय ने हिरासत में ले लिया है.
प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने खान और उसे सहयोगियों के आवास व परिसरों की तलाशी भी ली. उच्चतम न्यायालय ने हाल में केंद्र सरकार को काला धन रखने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई न करने पर लताड़ लगाई थी. न्यायालय ने इस बारे में आठ मार्च तक कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगी है. माना जा रहा है कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद ही हसन अली के आवास पर छापेमारी की कार्रवाई की गई है.
मुंबई से प्रवर्तन निदेशालय की दो टीमें सोमवा सुबह अली के निवास पर पहुंचीं. हसन अली का निवास पॉश कोरेगांव इलाके की वैलेंटाइन सोसायटी में है. निदेशालय की टीमां ने हसन अली के निवास की गहन छानबीन की तथा बाद में अधिकारी उसे अपने साथ ले गए. सूत्रों ने कहा कि पुणे निवास पर छापेमारी के बाद हसन अली को हिरासत में ले लिया गया है. {mospagebreak}
सूत्रों ने बताया कि हसन अली और उसके सहायकों के पुणे के अलावा मुंबई, गुड़गांव, कोलकाता और हैदराबाद स्थित परिसरों पर भी छापा मारा गया है. कोलकाता में व्यवसायी काशीनाथ तापड़िया के निवास पर छापा मारा गया. निदेशालय सूत्रों ने कहा कि तापड़िया कथित तौर पर हसन अली का सहयोगी है. हालांकि तपाड़िया ने दावा किया है कि उसकी हसन अली के साथ किसी तरह की भागीदारी नहीं है.
हसन अली के वकील आर के गौड़ ने कहा कि हसन को प्रवर्तन निदेशालय के मुंबई कार्यालय में ले जाया गया है जहां उनसे कुछ दस्तावेजों के आधार पर पूछताछ की जा सकती है. गौड़ ने दावा किया कि हसन अली को हिरासत में नहीं लिया गया है और उन्हें ईडी कार्यालय सिर्फ रूटीन जांच के लिए ले जाया गया है. प्रवर्तन निदेशालय ने आधिकारिक रूप से मीडिया को इस बारे में कुछ नहीं बताया है.
हसन अली के घर के बाहर खड़े मीडियाकर्मियां को भी छापे के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. सफेद कुर्ता और धूप का चश्मा पहने हसन अली को काले रंग की मर्सिडीज कार में प्रवर्तन निदेशालय के दो अधिकारियों के साथ बैठ कर जाते देखा गया. कोलकाता में प्रवर्तन निदेशालय के क्षेत्रीय निदेशक बी मल्लिक ने कहा, ‘हमने काशीनाथ तापड़िया तथा उनकी पत्नी के परिसरों पर छापा मारा. हमें छापे में कुछ मिला है.’ तापड़िया स्व. प्रियंवदा बिड़ला के भाई हैं. {mospagebreak}
मल्लिक ने कहा कि छापेमारी के दौरान पति पत्नी दोनों मौजूद थे. तापड़िया ने इस बारे में संपर्क करने पर कहा कि उन्होंने कुछ दस्तावेज ईडी को सौंपे हैं. पर साथ ही उन्होंने कहा कि ये पुराने दस्तावेज हैं, जो पहले भी निदेशालय को भेजे जा चुके हैं. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि इन दस्तावेजों में क्या है. उच्चतम न्यायालय ने पिछले बृहस्पतिवार को केंद्र को आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि वह उसके पास काले धन के जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई की इच्छाशक्ति नहीं है.
न्यायालय ने केंद्र से पूछा था कि जब हसन अली के खिलाफ जांच एजेंसियों के पास पर्याप्त सबूत थे, तो उसे हिरासत में लेकर पूछताछ क्यों नहीं की गई. हसन अली रीयल एस्टेट सलाहकार का काम भी करता है. उस पर विदेशी नागरिकों की मदद से कालाधन देश के बाहर भेजने का आरोप है. इससे पहले आयकर विभाग ने जनवरी, 2007 में उसके कोरेगांव निवास पर छापा मारा था. हसन अली पर स्विस बैंकों में करीब आठ अरब डालर की राशि रखने का आरोप है.
हसन अली के वकील गौड़ ने कहा, ‘उन्हें हिरासत में नहीं लिया गया है. उन्हें जांच एजेंसी के कार्यालय में ले जाया गया है. यह रूटीन जांच है. ऐसा सभी मामलों में होता है.’ हसन के वकील गौड़ ने कहा कि उनके मुवक्किल का स्विट्जरलैंड के बैंक में कोई धन नहीं है. उन्होंने कहा, ‘कहीं कोई काला धन नहीं है. हां, इस तरह के आरोप जरूर हैं. यूबीएस में इस तरह (8 अरब डालर) की कोई राशि नहीं पड़ी है और यूबीएस भी कह चुका है कि हसन अली से उसका कोई संबंध नहीं है.’ {mospagebreak}
आयकर विभाग ने कर चोरी के लिए हसन अली पर 40,000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. हसन अली को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग रोधन कानून के तहत 10 मार्च को निजी रूप से पेश होने को कहा है. आयकर विभाग द्वारा हसन को पिछले साल 31 दिसंबर को नोटिस जारी किया गया था. इसके बाद वह 18 फरवरी को मुंबई में आयकर अधिकारियों के समक्ष उपस्थित हुआ था.
माना जाता है कि हसन अली ने यूबीएस की ज्यूरिख शाखा में आठ अरब डालर का कालाधन जमा कराया हुआ है. हालांकि यूबीएस ने उसके साथ किसी तरह के कारोबारी संबंध से इनकार किया है. कर प्रवर्तन एजेंसियां अब हसन अली की विदेशी में संपत्तियों का पता लगाने का प्रयास कर रही हैं. उसकी इन संपत्तियों को या तो जब्त किया जाएगा या उनकी नीलामी की जाएगी. उस पर करीब 40,000 करोड़ रुपये की कर देनदारी बनती है.
उच्चतम न्यायालय ने यह भी संकेत दिया था कि यदि सरकार इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं करती है, तो वह एक काला धन जमाखोरों के खिलाफ जांच की निगरानी के लिए एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति कर सकता है.