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बोफोर्स मामला: क्वात्रोच्चि के खिलाफ बंद होगा केस

दिल्ली की तीस हाजरी कोर्ट ने दो दशक पुराने बोफोर्स घोटाला मामले में इटली के व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामला खत्म करने की सीबीआई की अपील मंजूर कर ली है.

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ओत्तावियो क्वात्रोच्चि
ओत्तावियो क्वात्रोच्चि

दिल्ली की तीस हाजरी कोर्ट ने दो दशक पुराने बोफोर्स घोटाला मामले में इटली के व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामला खत्म करने की सीबीआई की अपील मंजूर कर ली है.

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मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट विनोद यादव ने कहा, ‘सीबीआई की अर्जी को मंजूर किया जाता है.’ उन्होंने कहा, ‘यदि किसी मामले की तार्किक परिणति संभव नहीं है तो मुद्दे को छोड़ना बेहतर होगा.’ न्यायाधीश ने घोटाले की जांच में पहले ही खर्च किये जा चुके 200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का हवाला देते हुए कहा कि मामले को चलाने में हम कितने लंबे समय तक आम आदमी की मेहनत के धन को खर्च करेंगे.

सीएमएम ने फैसला सुनाते हुए मामले में सीबीआई की याचिका का विरोध करने वाले वकील अजय अग्रवाल के अधिकार क्षेत्र के संदर्भ में कहा कि उनका इस मामले में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. न्यायाधीश ने कहा कि वह अग्रवाल द्वारा उठाये गये व्यापक जनहित के पहलू को भी देख चुके हैं. हालांकि अग्रवाल ने कहा कि वह अदालत के आदेश के खिलाफ अपील करें. {mospagebreak}

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उन्होंने कहा कि 70 वर्षीय क्वात्रोच्चि को दिवंगत राजीव गांधी तथा सोनिया गांधी से नजदीकी के चलते विशेष राहत नहीं दी जा सकती. सीएमएम ने कहा कि फैसला लिखते वक्त मामले की जांच में बर्बाद इतनी बड़ी राशि उनके ध्यान में थी. क्वात्रोच्चि भारत की किसी अदालत में कभी पेश नहीं हुआ. सीबीआई ने अक्तूबर 2009 में क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामला वापस लेने की इजाजत मांगी थी.

सीबीआई ने कहा था कि क्वात्रोच्चि का प्रत्यर्पण कराने की नाकाम कोशिशों समेत अनेक आधार पर मुकदमा जारी रखना न्यायोचित नहीं है. इतालवी व्यापारी को 2003 में मलेशिया और 2007 में अर्जेंटीना से प्रत्यर्पित कराने की कोशिश एजेंसी ने की थी. बोफोर्स तोप सौदे में कथित तौर पर दलाली लेने के मामले में क्वात्रोच्चि के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था.

सीबीआई ने 20 जनवरी 1990 को 1986 के बोफोर्स तोप सौदे के लाभार्थियों की जांच कराने को लेकर एक आपराधिक मामला दर्ज किया था. जांच एजेंसी ने जांच पूरी करने के बाद दो आरोपपत्र दाखिल किये थे. पहला आरोपपत्र 22 अक्तूबर 1999 में और दूसरा नौ अक्तूबर 2000 में दाखिल किया गया था. {mospagebreak}

सीबीआई ने दलील दी थी कि आयकर अपीली न्यायाधिकरण के आदेश के मद्देनजर क्वात्रोच्चि के खिलाफ मामले को वापस लेने पर सरकार के रुख में कोई बदलाव नहीं है. न्यायाधिकरण ने कहा था कि होवित्जर सौदे में दिवंगत विन चड्ढा और क्वात्रोच्चि को 61 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गयी थी.

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सीबीआई ने मामले को वापस लाने की मांग करते हुए अपने नौ पन्नों के आवेदन में कहा, ‘क्वात्रोच्चि के खिलाफ मुकदमा चलाते रहना न्यायोचित नहीं है. न्याय के हित में यह आवश्यक समझा जाता है कि उसके खिलाफ कार्यवाही जारी नहीं रखी जानी चाहिए और इसे वापस लिया जाए.’ वकील अजय अग्रवाल ने सीबीआई द्वारा मामले को बंद करने का कदम उठाये जाने के खिलाफ निचली अदालत में गुहार लगाई थी.

उनकी दलील थी कि केंद्र और सीबीआई क्वात्रोच्चि के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बावजूद मामले को बंद करने का प्रयास कर रहे हैं. सीबीआई ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि अभियोजन के लिए क्वात्रोच्चि की मौजूदगी सुनिश्चित करना कठिन है और इसके अलावा अन्य सभी आरोपियों की या तो मौत हो गयी या उनके खिलाफ आरोपों को दिल्ली उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया.

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