आखिर कौन है जो दिल्ली को दहलाना चाहता है? आखिर कौन है जो दिल्ली को डराना चाहता है? आखिर कौन है जो दिल्ली वालों को ये बताना चाहता है कि-देख लो हम कभी भी कहीं भी बम रख सकते हैं? औऱ आखिर वो कौन है जो इन बमों को रख कर सीधे दिल्ली पुलिस को चैलेंज कर रहा है कि पकड़ सको तो पकड़ लो?
पर इस कौन से भी बड़ा और डरावना सवाल ये है कि आखिर दिल्ली में इस तरह ऐसे बमों को रखने का मकसद क्या है? जी हां, पांच दिनों में दिल्ली ने दूसरा बम देखा पर सच्चाई ये है कि दोनों ही बम इतने हलके और मामूली थे कि इनसे कोई बड़ा नुकसान तो छोड़िए शायद ये किसी की जान भी नहीं ले सकते थे. तो फिर जान जोखिम में डाल कर खुलेआम इन बमों को रखने के पीछे बम रखने वालों का मकसद क्या है?
पांच दिनों में दिल्ली के दो बमों का सच जानने के लिए हमने हर पहलू को खंगाल डाला. बम और बम रखने वालों की हकीकत जानने के लिए पुलिस की इनवेस्टिगेटिव टीम से लेकर तमाम एक्सपर्ट के साथ मामले की गहराई से पड़ताल की.
सोमवार दोपहर दिल्ली एक बार फिर सहम उठी. राजधानी में पांच दिन में दूसरी बार बम मिला. इस बार बम दक्षिणी दिल्ली में गार्गी कॉलेज के पास मिला. हालांकि ये बम फटा नहीं.
क्योंकि उसमें डेटोनेटर ही नहीं था। और ये बम भी मामूली बम ही मिकला. पर चिंता की बात ये है कि 1997 में दिल्ली में 13 धमाके हुए थे. शुरू के कुछ धमाके ऐसे ही मामूली थे. पर उसके बाद अचानक चार बड़े धमाके हो गए. कहीं ये दो मामूली बम भी कुछ वैसा ही इशारा तो नहीं?
क्या ये तस्वीरें किसी बड़ी साजिश की तैयारी का सूबत हैं. क्या इन छोटी कोशिशों में छुपी है बड़ी चेतावनी. पांच दिन में दूसरी बार दिल्ली दहशत के मुहाने पर खड़ी हुई. सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर एक राहगीर ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर एक लावारिस बैग मिलने की जानकारी दी. सुबह 11 बजकर 55 मिनट गार्गी कॉलेज के पास गश्त लगा रहे दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम के पुलिसकर्मियों की नजर एक लावारिस बैग पर पड़ी. बैग गार्गी कॉलेज के बस स्टैंड पर रखा था. चंद मिनटों में बम निरोधक दस्ता बुला लिया गया.
पुलिस का शक सही निकला. बैग में बम का पूरा सामान मौजूद था. चंद मिनटों में बम निरोधक दस्ते ने इसे निष्क्रिय कर दिया और खतरा टल गया. हांलाकि गार्गी कॉलेज के पास मिले बम और हाई कोर्ट में हुए धमाकों की साजिश में कुछ बातें मिलती जुलती लगती हैं. बम मिलने का वक्त भी एक जैसा ही है. गार्गी कॉलेज के पास 11बजकर 55 मिनट पर बम मिला है और हाई कोर्ट में दोपहर 1.15 मिनट पर धमाका हुआ था यानि ऐसा वक्त चुना गया था जब भीड़भाड़ ज्यादा होती है.
इसके अलावा दोनो जगह रखे गए बम भी कई मायनों में एक जैसे ही लग रहे हैं. विस्फोट के लिए गन पाउडर रखे हुए थे शक है कि ये अमोनियम नाइट्रेट हो सकते हैं, अभी जांच के नतीजे नहीं आए हैं. हाई कोर्ट में हुए धमाके में इस्तेमाल बम में अमोनियम नाइट्रेट का ही इस्तेमाल हुआ था. दोनो ही बमों में बैट्री का इस्तेमाल किया गया था फर्क ये था कि हाई कोर्ट धमाके में मोटरसाइकिल की बैट्री इस्तेमाल हुई थी और गार्गी कॉलेज में मिले बम में दो पेंसिल साइज़ की बैट्रियां थीं.
दोनो ही जगह रखे गए बमों में छोटे छोटे तार के टुकड़े थे जिनकी कुल लंबाई दो फीट के करीब थी. हाई कोर्ट में हुए धमाके में इस्तेमाल बम में सल्फ्यूरिक ऐसिड, तार और कीलें भी थीं जो गार्गी कॉलेज के बाहर मिले बम में मौजूद नहीं थे. सबसे बड़ा फर्क टाइमर का था. हाईकोर्ट में हुए धमाके में इस्तेमाल बम में डेटोनेटर सर्किट लगा था जिसमें 45 मिनट का टाइम सेट किया गया था. जबकि सोमवार को मिले बम में टाइमर नहीं था. यानि उसमें धमाका नहीं हो सकता था. पुलिस भी अंदाजा लगा रही है कि इसे धमाके के लिए वहां नहीं रखा गया होगा. फिर बम रखने के पीछे आखिर क्या था मकसद. जांच अभी जारी है.