बम्बई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कर चोरी एवं धन की हेराफेरी के आरोपी हसन अली खान को जमानत दे दी. अभियोजन पक्ष धन की धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उसका अपराध स्थापित नहीं कर सका.
जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद खान न्यायालय कक्ष में अचानक गिर गया. इस पर उसकी देखभाल के लिए वहां एक डॉक्टर को बुलाया गया. खान के वकील आई.पी. बगारिया ने कहा, 'न्यायाधीश अभय थिप्से ने पांच लाख रुपये के मुचलके पर खान की जमानत मंजूर की.
खान को अपना पासपोर्ट जमा करने और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के जांच अधिकारी की लिखित अनुमति के बिना मुम्बई अथवा पुणे के बाहर न जाने के लिए कहा गया है.' न्यायालय ने कहा कि ईडी खान के खिलाफ धन की हेराफेरी का मामला स्थापित नहीं कर सका है, इसलिए पीएमएलए के तहत उसके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनाया जा सकता.
बगारिया ने कहा, 'न्यायाधीश ने कहा कि एक विदेशी बैंक में केवल खाता रखना धन की हेराफेरी नहीं है.' ज्ञात हो कि एक निचली अदालत द्वारा खान को मिली जमानत सर्वोच्च न्यायालय से रद्द हो जाने पर ईडी ने गत 17 मार्च को उसे हिरासत में लिया था.
खान पर संदेह है कि उसने स्विटजरलैंड के बैंक खातों में करीब आठ अरब डॉलर जमा किए हैं. इसके अलावा उसने कर चोरी और हवाला के जरिए विदेशों में नकदी का हस्तांतरण किया है और सम्पत्तियां बनाई हैं जिनकी कीमत 40,000 करोड़ रुपये लगाई जाती है. यही नहीं, उच्च न्यायालय ने बुधवार को उसकी पत्नी रहीमा को एक विशेष न्यायालय के समक्ष पेश होने से छूट दे दी.