कातिल उसे मुर्दा समझ कर घर से निकल चुके थे पर उसकी चंद सांसें अब भी बाकी थीं. वो अब भी जिंदा था पर उसे पता था कि अब वो बस किसी भी पल मरने वाला है. कभी भी उसकी सांसें उसका साछ छोड़ देंगी. सर बड़ी मुश्किल से धड़ से जुड़ा था. एक हाथ जिस्म से अलग हो चुका था, उंगलियां कट चुकी थीं पर फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी. दम निकलने से पहले एक आखिरी बार उसने अपनी सारी ताकत लगा दी. बची-खुची उंगलियों में से एक उंगली को किसी तरह अपने ही खून मे डुबोया और दीवार पर ये दस शब्द लिख डाले. घर की दीवार पर दस शब्द लाल रंगी की किसी स्याही से नहीं बल्कि उसने अपने खून से लिखे और दस शब्द लिखने के बाद उसने दम तोड़ दिया.
घर में चारों तरफ बिखरे खून के धब्बे इस बात के गवाह हैं कि कितनी बेरहमी के साथ उसका खून किया गया. अंदाजा लगाया जा सकता है कि खुद कातिल को भी जरा सा गुमान नहीं था कि उनके वार के बाद वो कुछ सेकेंड भी और जिएगा और इसीलिए वो उसे मुर्दा समझ कर वहां से चल दिए और यहीं क़ातिल ग़लती कर गया क्योंकि जिसे वो मुर्दा समझ कर घर से निकल गए. .उस मुर्दे में अब भी कुछ जान बाकी थी.
दर्द की शिद्दत का अंदाजा लगाइए. एक हाथ उसका अलग हो चुका था. उंगलियां कटी हुई थीं. सर और धड़ के बीच गहरा वार था. खून लगातार बह रहा था. सिर्फ सोच कर ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं पर उसने हिमम्त नहीं हारी. उसने किसी तरह अपनी तमाम आखिरी सांसों को समेटा और अपनी इसी उंगली को अपने खून में डुबो कर दीवार पर कुल दस शब्द लिखे. नौ शब्द एक दीवार पर और दसवां दूसरी दीवार पर.
कौन हैं ये मुरली और मनी? क्या दुश्मनी थी उनकी मकतूल से? क्यों मारा उन्होंन उसे? और क्या सचमुच आखिरी सांसों से लिखी गई इस इबारत मे कातिल का ही नाम छुपा है? क़त्ल की इस दिल दहला देने वाली कहानी का पूरा सच जानने के लिए पहले पूरी कहानी सुन लीजिए.
उसे खुद अहसास हो चुका था कि मम्मी-पापा के घर लौटने तक उसकी सांसे उसका साथ नहीं दे पाएंगी. वक्त इतना भी नहीं बचा था कि कागज के टुकड़े पर कुछ लिख पाता. लिहाजा अपने कातिलों का नाम लिखने के लिए उसके पास खुद के लहू के अलावा और कुछ नहीं था.
दिल दहला देने वाली ये वारदात यमुनानगर रेलवे कालोनी के मकान नंबर ए-1 में बुधवार रात को हुई. इस घर में अमित अपने मां-बाप, दो भाई और भाभी के साथ रहता था बुधवार को इलाके में ही एक रिश्तेदार की शादी थी. पूरा परिवार उसी शादी में गया हुआ था. घर पर बस अकेला रह गया था घर का सबसे बेटा अमित.
इसी बीच देर रात अचानक कुछ पड़ोसियों ने देखा कि अमित के घर के दरवजे के नीचे से खून रिस रहा है. खून देखते ही पड़ोसी घबरा गए. पहले उन्हें लगा कि शायद घर मे किसी को चोट लग गई हो. लिहाजा उन्होंने दरवाजा खोला तो दरवाजा अंदर से खुला मिला पर जैसे ही वो लोग अंदर घुसे उनकी चीखें निकल गईं. पूरे घर में खून ही खून था और जमीन पर पड़ी थी अमित की खून से लथपथ लाश.
घर के मंज़र बता रहे थे कि कातिलों ने अमित का क़त्ल करने से पहले उसे खूब तड़पाया क्योंकि घर के हर हिस्से में खून फैला था. किचन, ड्राइंगरूम, बेडरूम हर तरफ खून ही खून था. ऐसा लगता था कि कातिल किसी भी कीमत पर अमित को जिंदा नहीं छोना चाहता था.
इसी बीच पुलिस और घरवालों की नजर दीवार पर लिखे दस शब्दों पर पड़ी. नाम पढ़ते ही घरवाले चौंक गए. अमित के मामा के मुताबिक घर की दीवार पर खून से लिखी इबारत में एक नाम अमित के बड़े भाई के एक दोस्त का है.
घरवालों के मुताबिक अमित के क़ातिलों ने पुलिस को गुमराह करने के लिए घर का सारा सामान इधर-उधर बिखेर दिया था. घर की सारी अलमारियां खुली हुईं थीं लेकिन घर से कोई भी कीमती सामान गायब नहीं था.
हैरानी की बात ये है कि घर में इतनी बड़ी वारदात हो गई और पड़सियों को इसकी भनक तक नहीं लगी और ना ही क़त्ल के पहले या बाद में उन्होंने किसी को घर के अंदर आते-जाते देखा. इतना ही नहीं किसी ने अमित के चीखने-चिल्लाने की आवाज़ तक नहीं सुनी.
26 साल का अमित घर का सबसे छोटा था. वो एक प्राईवेट कंपनी में नौकरी कर रहा था. पड़ोसियों के मुताबिक अमित बेहद शांत और मिलनसार लड़का था. घर में सबसे छोटा होने के कारण वह अपने पिता का भी लाडला था लेकिन अमित की मौत ने उन्हें तोड़ कर रख दिया है.
वैसे पुलिस के मुताबिक ये बात तय है कि अमित अपने क़ातिलों को जानता था क्योंकि घर का दरवाजा तोड़ा नहीं गया है. यानी अमित अपने क़तिलों को पहचानता था और उसी ने दरवाज़ा खोल कर उन्हें अंदर बुलाया.
फिलहाल पुलिस के पास सुराग के नाम पर दो सबसे अहम नाम हैं जो खुद अमित ने अपने खून से दीवार पर लिखे हैं. अब देखना ये है कि वो इन नाम तक कब पहुंचती है और क्या वाकई य़े दोनों नाम अमित के कातिलों के ही हैं?