पर्यटकों को आकर्षित करने और पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि से बिहार के गया जिले के बोधगया में 3 फरवरी से बौद्ध महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इस दौरान बौद्ध संस्कृति की इस पावन धरती पर तमाम बौद्ध देशों की संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी. यह महोत्सव तीन दिन तक चलेगा.
इस महोत्सव को आकर्षक बनाने के लिए पर्यटन विभाग कोई कोरकसर नहीं छोड़ना चाहता. कालचक्र मैदान में होने वाले इस महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए प्रसिद्ध कोरियोग्राफर मैत्रही पहाड़ी और सेट डिजाइनर कैलाश जीवनी ने एक विशाल मंच बनाया है. इस मंच पर भूटान, थाइलैंड, श्रीलंका सहित कई देशों के सांस्कृतिक दल अपने-अपने देशों की संस्कृति से संबंधित कार्यक्रम पेश करेंगे. इसके अलावा भी इस मंच पर अतुल्य भारत की छटा बिखरेगी.
गया के अनुमंडल पदाधिकारी पारितोष कुमार ने बताया कि बौद्ध महोत्सव की सारी आवश्यक तैयारियां कर ली गई हैं. उन्होंने बताया कि राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस महोत्सव का उद्घाटन करेंगे.
पहले दिन थाईलैंड के सांस्कृतिक मंत्रालय, भूटान की रॉयल एकेडमी ऑफ परफार्मिंग आर्ट, श्रीलंका की धनधम नाना पुबूव्वा फाउंडेशन, लद्दाख की सिंधु सरगम सोसाइटी और सिक्किम के सांस्कृतिक विभाग से जुड़े कलाकार बौद्ध संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम पेश करेंगे. 4 फरवरी को विभिन्न सांस्कृतिक दलों द्वारा आठ कार्यक्रम पेश किए जाएंगे. इस दिन 'बौद्ध दर्शन और 21वीं सदी में इसका महत्व' विषय पर परिचर्चा आयोजित की जाएगी.
इसके बाद अंतिम दिन महाबोधि मंदिर से शांति मार्च निकाला जाएगा तथा पवित्र महाबोधि वृक्ष के नीचे विश्वशांति के लिए प्रार्थना की जाएगी. शाम को देश के नौ राज्यों के विशेष लोक कलाकार अतुल्य भारत कार्यक्रम की प्रस्तुति करेंगे. जिसमें लावणी, बिहू, गरबा, आंगरा, घाटो, मणिपुरी, ब्रज की होली, बलबेलिया, चोलम सहित कई नृत्य पेश किए जाएंगे. इसके अलावा महोत्सव के दौरान कालचक्र मैदान में विभिन्न विभागों द्वारा भव्य प्रदर्शनी लगाई जाएगी.
इधर, मंच सज्जा में लगे कैलाश कुमार कहते हैं कि मंच को पूरी तरह बौद्ध संस्कृति के अनुरूप तैयार किया जा रहा है, इसमें बौद्ध सम्प्रदाय का पुट रहेगा जिससे दर्शकों का मंच के प्रति आकर्षण बढ़ेगा.
महाबोधि मंदिर ट्रस्ट और पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित होने वाले इस महोत्सव के बारे में राज्य के पर्यटन विभाग के मंत्री सुनील कुमार पिंटु कहते हैं कि बौद्ध सर्किट के सबसे महत्वपूर्ण स्थल के रूप में चिह्न्ति बोधगया को इस तरह के आयोजनों से सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने में मदद मिलेगी वहीं पर्यटकों को भी आकर्षित किया जा सकेगा. गौरतलब है कि हाल ही में सम्पन्न कालचक्र पूजा में बौद्ध भिक्षुओं सहित ढाई लाख सैलानी जुटे थे.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1998 में केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार ने बौद्ध महोत्सव प्रारम्भ किया था. इसका उद्देश्य पर्यटकों को आकर्षित करना था.