अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले की दसवीं बरसी पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ने पूर्व राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश और उनकी पत्नी के साथ मिलकर इस हमले में मरे तकरीबन 3000 लोगों की मौत पर शोक में विश्व का नेतृत्व किया.
9/11 हमला: दर्द और अवसाद में डूबे अमेरिकी
इस अवसर पर तोक्यो से लेकर सिडनी तक दुनिया ने अमेरिका के साथ मिलकर दस साल पहले भयंकर आतंकवादी हमले में मारे गए करीब 3000 लोगों को याद किया.
ओसामा से ओबामा तक का सफरनामा | LIVE TV
काला लिबास पहने दोनों दंपत्तियों ने हाथ पकड़ रखे थे. वे धीमे कदमों से स्मारक की तरफ बढ़ रहे थे और वहां दीवारों पर उकेरे गए 2983 लोगों के नाम देख रहे थे. 11 सिंतबर 2001 के आतंकवादी हमले ने इन लोगों की जान ले ली थी.
ग्राउंड जीरो या हमले का साक्षी बने वर्ल्ड ट्रेड टावर के स्थान पर गहरी खामोशी की चादर फैली थी. अमेरिका के प्रथम परिवार और बुश दंपत्ति ने 30 फुट उंचे झरने के नीचे करीब एक मिनट गुजारा. यह झरना नए स्मारक का एक हिस्सा है. लोगों ने अमेरिकी ध्वज और साथ ही अपने उन अजीजों की तस्वीरें थाम रखी थी जिन्होंने इस हमले में अपनी जानें खोई थी.
कार्यक्रम का आगाज बैगपाइपर के एक जुलूस से हुआ. यह जुलूस राष्ट्रीय गान गा रहा था. वहां मौजूद बहुत सारे लोगों की पलकें भीग उठी जब मारे गए लोगों के नाम पढ़े जाने लगे. कुछ तो रो पड़े.
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए भयावह हमले की दसवीं बरसी पर पूरे देश में उस घटना में जान गंवाने वालों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की जा रही हैं. इससे पहले, पेनसिल्वेनिया के शांक्सविले में पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश, बिल क्लिंटन और वर्तमान उपराष्ट्रपति जो बाइडेन ने कल ‘यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 93’ पर सवार उन बहादुर यात्रियों की याद में एक स्मारक का उद्घाटन किया जिन्होंने देश को बचाने की खातिर अपनी जान गंवायी थी. इस अवसर पर हादसे के शिकार लोगों के परिजन भी मौजूद थे.
दस साल पुरानी यह घटना अब भी पीड़ितों के परिजन को साल रही है. अपने 30 वर्षीय बेटे राजेश को हमेशा हमेशा के लिए खोने वाले न्यूजर्सी निवासी अर्जन मीरपुरी ने से कहा,‘‘मेरा बेटा तो वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में काम भी नहीं करता था. वह वहां एक ट्रेड शो में गया था. उससे पहले वह वहां कभी नहीं गया था. 9/11 हमारे जीवन में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण दिन बन गया.’’
पहली शोकसभा न्यूजीलैंड में आयोजित हुई जहां आयरलैंड के खिलाफ रगबी वर्ल्ड कप मैच में अमेरिकी रगबी टीम ने हिस्सा लिया.
इस अवसर पर अमेरिकी राजदूत डेविड हुएबनेर ने कहा कि 9.11 मानव साहस की जीत को याद करने का दिन है. उधर, आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री केविन रड ने आगाह किया कि यदि विभिन्न राष्ट्रों ने अपनी सुरक्षा में ढील दी तो अब भी 11 सितंबर जैसा हमला हो सकता है.
रड ने कहा, ‘‘11 सितंबर के बारे एक बात यह है कि यह अब भी पेरिस में सिडनी में हो सकता है. ऐसे में आजादी की कीमत कड़ी चौकसी है.’’
जापान के तोक्यो में कई परिवार फुजी बैंक के उन कर्मचारियों को अपनी श्रद्धा सुमन देने के लिए एकत्र हुए जो इस हमले में मारे गए थे. इन कर्मचारियों में करीब एक दर्जन जापानी कर्मचारी थे.
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली मयंग बाक ने 9/11 में मारे गए लोगों के परिवारों और अमेरिकी जनता के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को चिट्ठी लिखी.
अपनी सरजमीं से आतंकवादियों के पनाहगाह हटाने के लिए कड़े दबाव से गुजर रहे पाकिस्तान ने भी आतंकवाद के सफाये के लिए सहयोग का संकल्प व्यक्त किया और विश्व बिरादरी से सहिष्णुता जैसे आदशरे पर अडिग रहने की अपील की.
अमेरिका में विभिन्न शहरों में लोग कैथड्रल में एकत्र हुआ और उन्होंने दमकल स्टेशनों पर पुष्पांजलि की. इस बार मृतकों के नाम निर्माणाधीन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर टावर के समीप मृतकों के नाम पढ़कर सुनाये जायेंगे.
इसी यहां और वाशिंगटन में अधिकारियों ने 9/11 की बरसी पर सुरक्षा कड़ी कर दी हैं क्योंकि ऐसी खुफिया सूचना है कि तीन अलकायदा आतंकवादी इन दोनों शहरों में किसी एक में कार बम हमले की साजिश रच रहे हैं. वैसे अधिकारियों को इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिला है कि देश में कोई आतंकवादी घुस आया है.
एकता और सेवा का आह्वान करते हुए कल राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस हमले के दौरान मारे गए लेागों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी. वह कल एरलिंग्टन नेशनल समाधिस्थल गए और वहां उस स्थान पर गए जहां अफगानिस्तान और इराक युद्धों के शहीद दफनाये गए हैं.
उधर, फोब फेंती से प्राप्त खबर के अनुसार अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों ने 11 सितंबर के मृतकों को याद किया.
अमेरिका में कई लोगों के लिए 11 सितंबर 2001 को लिये गये छोटे फैसलों- धूम्रपान के लिए बाहर जाना, भूमिगत पैदल पार पथ के प्रयोग, देर रात तक टीवी पर फुटबॉल मैच देखने के कारण सुबह देर तक सोने के फैसले आदि ने उनकी जिदंगी बचा ली.
मॉर्गन स्टेनली में कार्यकारी निदेशक ग्रीर एप्सटीन काम के बीच ब्रेक नहीं लेते थी. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के 67वीं मंजिल पर अपने कार्यालय से वह बाहर नहीं निकलती थीं. उनके पास काम से फुर्सत ही नहीं होता था. 11 सितंबर के दिन नौ बजे से बीस मिनट पहले उनकी एक मित्र ने उन्हें सिगरेट पीने के लिए बाहर बुलाया. एक सिगरेट ने उनके जीवन को बचा लिया.
एप्सटीन ने सीएनएन को कहा, ‘‘मैं दोपहर से पहले ब्रेक नहीं लेती. ऐसा केवल उसी दिन हुआ था. भगवान का शुक्रिया.’’ इस बीच तालिबान ने कहा है कि 11 सिंतबर 2001 के हमले में उसकी कोई भूमिका नहीं है और अमेरिका ने इसके आड़ में अफगानिस्तान पर हमला किया और दसियों हजार निर्दोष अफगानों की हत्या कर डाली.
मीडिया को ईमेल से भेजे गए एक संदेश में तालिबान ने यह भी कहा है कि अफगानिस्तान के अवाम में लंबे युद्ध के लिए कभी न खत्म होने वाली शक्ति है और वह अमेरीकियों को इतिहास के कूड़ेदान में डाल देगा.
बयान में ‘इस्लामी अफगानिस्तान अमीरात’ ने कहा कि अफगानिस्तान में हमला के लिए अमेरिका ने 11 सितंबर 2001 के हमले का आड़ लिया.
बयान में कहा गया है, ‘‘हर साल 9/11 अफगान को एक ऐसी घटना की याद दिलाता है, जिसमें उनकी कोई भी भूमिका नहीं थी, लेकिन इसे बहाने की तरह उपयोग किया गया और अमेरिकी उपनिवेशवाद ने दसियों हजार गरीब और बेकसूर अफगानों का खून बहा दिया. अभी तक यह जुल्म और अत्याचार जारी है.’’
इसमें कहा गया है कि तालिबान ने 9/11 हमले की निष्पक्ष जांच की मांग की थी लेकिन अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने ‘क्रूज मिसाइल और खतरनाक क्षीण यूरेनियम आधारित हथियार भेजकर’ जवाब दिया.
तालिबान ने कहा है, ‘‘यह पश्चिमी लोकतंत्र के चेहरे पर एक स्थायी कलंक बना रहेगा. अमेरिका और उसके सहयोगी इस अस्पष्ट घटना की आड़ में दसियों हजार मुसलमानों को शहीद कर दिया.’’
उसने कहा है, ‘‘बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और नवजात शिशु पीड़ितों में शामिल हैं. उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ जंग के अनुचित नाम पर हमारे गांव, बगीचों, खड़ी फसलों और यहां तक कि शहरों को नष्ट कर दिया.’’ उल्लेखनीय है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने अफगानिस्तान पर सात अक्तूबर 2001 को हमला कर दिया जब तत्कालीन तालिबान सरकार ने अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को अमेरिका के सुपुर्द करने से इनकार कर दिया.