देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों को सीईओ चलाते हैं, लेकिन आर्थिक संकट के दौर में कंपनियों को मुसीबत से निकालने में सबसे बड़ी भूमिका होती है कंपनियों के सीएफओ यानी चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर्स की. ऐसे ही बेहतरीन सीएफओ को दिल्ली में हुए बिजनेस टुडे बेस्ट सीएफओ अवार्ड में पुरस्कारों से नवाजा गया.
कुछ साल पहले हिन्दुस्तान में पड़ी आर्थिक संकट की दस्तक. संकट के इस दौर में नौकरियों में कटौती से लेकर शटडाउन तक का खतरा मंडराने लगा था, लेकिन हिन्दुस्तान की कंपनियां आसानी से बड़े आर्थिक संकट का मुकाबला करने में कामयाब रहीं.
इसमें बड़ा योगदान उन चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर्स का रहा जो कंपनियों की आर्थिक सेहत का मैनेजमेंट यानी प्रबंधन करते हैं. ऐसे ही सीएफओ दिल्ली में सम्मानित किए गए बिजनेस टुडे के बेस्ट सीएफओ अवॉर्ड समारोह में.
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने खुद बिज़नेस टुडे-यस बैंक बेस्ट सीएफओ अवॉर्ड के विजेताओं को सम्मानित किया और फिर बताया कि सीएफओ की भूमिका कितनी अहम होती है.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘उन्हें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को खुश करना होता है. ये भी देखना होता है कि कंपनी मुनाफा कमाए. निवेशकों को डेविडेंड मिले इसकी भी चिंता वो करते हैं. प्रतिस्पर्धा के दौर में उनसे (सीएफओ) उम्मीदें और बढ़ जाती हैं. ये कोई आसान काम नहीं.’
बिज़नेस टुडे-यस बैंक बेस्ट सीएफओ अवॉर्ड की खास बात ये थी कि विजेताओं का चयन उस खास दौर में बेहतरीन योगदान देने वाले सीएफओ से किया गया जब देश में आर्थिक संकट की मार सबसे ज्यादा थी.
इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटर-इन-चीफ अरूण पुरी ने कहा, ‘जैसे ही मंदी की आहट हुई, वित्त प्रबंधकों ने कमर कस लिए. गैरजरूरी खर्चों में कटौती की लेकिन जरूरी खर्च नहीं रोके गए. दूर के लक्ष्यों को देखते हुए कंपनी के विकास के लिए जरूरी खर्चों में कहीं कोताही नहीं बरती गई. कंपनियों ने उधार लेने पर लगाम लगाये, ये ध्यान रखा कि ऋण काबू से बाहर न जाए लेकिन जहां जरुरत महसूस हुई ऋण से भी परहेज नहीं किया. खर्चों में कटौती की गई लेकिन नौकरियां नहीं छीनी गई.’
ये लगातार तीसरा साल है जब वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने खुद अपने हाथों से विजेताओं को बेस्ट सीएफओ अवॉर्ड से नवाजा है.