दिल्ली की मुख्यमंत्री की मुश्किलें बढ़ाते हुए कैग ने राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन से संबंधित रिपोर्ट में कहा कि शीला दीक्षित की ‘सक्रिय भागीदारी’ वाले एक फैसले के कारण 31.07 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
कैग रिपोर्ट बन सकती हैं शीला की मुसीबत
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की 19वें राष्ट्रमंडल खेल 2010 के बारे में संसद में पेश रिपोर्ट दिल्ली की सड़कों की प्रकाश व्यवस्था पर हुए खर्च के बारे में कहती है, ‘रिकॉर्ड से पता चलता है कि आयातित ल्यूमिनरीज के इस्तेमाल का फैसला विभिन्न चरणों में मुख्यमंत्री की सक्रिय भागीदारी के साथ किया गया.’
कैग ने कहा, ‘देशी ल्यूमिनरीज की तुलना में आयातित ल्यूमिनरीज कहीं ज्यादा लागत पर खरीदी गयी. इसकी वजह से तीनों एजेंसियों (पीडब्ल्यूडी, एनडीएमसी और एमसीडी) ने 31.07 करोड़ रुपये का बेकार का खर्च किया. हमने यह भी पाया कि आयातित रेंज की खरीद कीमत, वास्तविक बिल कीमत के आधार पर गणना की गयी उचित कीमत से कहीं ज्यादा थी.’
दिल्ली सरकार ने कुछ भी गलत नहीं किया: शीला दीक्षित
कैग ने कहा कि इसी तरह सड़कों पर संकेतक लगाने के काम में भी करीब 15 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ. रिपोर्ट में कहा गया कि स्ट्रीटस्केपिंग और सौंदर्यीकरण का कार्य 4.8 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की अत्यधिक उच्च औसत लागत पर अस्थायी और मनमाने तरीके से दिया गया तथा कार्यान्वित किया गया. इसकी वजह से 101.02 करोड़ रुपये का बेकार का खर्च हुआ.
कैग की रिपोर्ट कहती है कि कनॉट प्लेस के जीर्णोद्धार की लागत 76 करोड़ रुपये अनुमानित थी जो कि नौ गुना से अधिक बढ़कर 671 करोड़ रुपये हो गयी और उस पर भी खेलों के समय तक काम पूरा नहीं हो पाया.
यह रिपोर्ट ऐसे समय आयी है जब प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त शुंगलू समिति के निष्कषरें में भी राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में अनियमितताओं के मामले में प्रक्रियागत उल्लंघनों के लिये शीला दीक्षित को जिम्मेदार ठहराया गया है.
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