सीएजी रिपोर्ट लोकसभा में पेश होने के साथ ही शीला सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. सीएजी रिपोर्ट में सीडब्ल्यूजी को लेकर शीला सरकार पर कई सवाल खड़े किए गए हैं. दिल्ली बीजेपी तो अब उनसे इस्तीफा मांग रही है.
सीडब्ल्यूजी घोटाले पर प्रधानमंत्री द्वारा बनाई गई शुंगलू कमेटी रिपोर्ट, सीवीसी रिपोर्ट और सीएजी रिपोर्ट. एक के बाद एक आयीं और इन तीनों ही रिपोर्ट ने शीला दीक्षित को कटघरे में खड़ा कर दिया. तीनों रिपोर्ट अलग-अलग तरह से कॉमनवेल्थ घोटालों का पर्दाफाश करती हैं. लेकिन तीनों रिपोर्ट्स में एक बात कॉमन है कि शीला दीक्षित सरकार की भूमिका पर सवालिया निशान उठाए गए हैं.
कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान, दिल्ली की सड़को पर आपने देखी होंगी चमचमाती हुई स्ट्रीट लाइट्स, सड़कों के किनारे हरियाली, बड़े बड़े खेलों के साइन बोर्ड्स, सड़कों के किनारे लगे पत्थर के लैंप, टाइल्स, ज़मीन पर लगे ग्रेनाइट पत्थर और फ्लाइ ओवर्स. लेकिन इस चमक दमक के पीछे घोटालों का काला सच भी छुपा है.
सीवीसी की रिपोर्ट ने खुलासा किया कि किस तरह कॉमनवेल्थ में घटिया दर्जे का काम ज़्यादा पैसे देकर कराया गया. सीवीसी के विंग चीफ टेक्निकल एग्ज़ामिनेशन ने जांच की थी, कि कॉमनवेल्थ स्ट्रक्चर के कामों को लेकर टेंडर के नियमों में अनदेखी की गई. कंस्ट्रक्शन में घटिया मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया. इसमें बारापुला, गाज़ीपुर फ्लाइ ओवर और नारायणा फ्लाइ ओवरों की क्वालिटी पर सवाल उठाए.
सीवीसी के एक्स कमिश्नर ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने उनसे कहा कॉमनवेल्थ से जुड़े कामों की कोई विज़िलैंस की कोई जांच ना हो.
शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में भी शीला दीक्षित सरकार पर सरकारी खज़ाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया. दिल्ली सरकार ने कॉमनवेल्थ खेलों में निगरानी का काम ठीक से नहीं किया. दिल्ली सरकार ने फैसलों को सेंट्रलाइज़ किया, जिसकी वजह से 900 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. शीला दीक्षित सरकार ने समय से काम नहीं करवाया. और बाद में जल्दी जल्दी के चक्कर में अनाप-शनाप खर्च किया.
सूत्रों के मुताबिक सीएजी रिपोर्ट में भी शीला सरकार पर तमाम बड़े सवाल खड़े किए गए हैं. कॉमनवेल्थ के दौरान रोज़ रोज़ ये ख़बरे आती थी कि काम में देरी हो रही है. लेकिन अब ये सामने आ रहा है कि काम में जानबूझ कर देरी की जा रही थी, ताकि मनमाने ढंग से कमाई की जा सके.
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