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कैग ने पेट्रोलियम मंत्रालय, डीजीएच को लताड़ा

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पेट्रोलियम मंत्रालय और क्षेत्र के नियामक डीजीएच की रिलायंस इंडस्ट्रीज का पक्ष लेते हुए उसे केजी-डी6 क्षेत्र की लागत को दोगुना करने की अनुमति देने के लिए खिंचाई की है.

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नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पेट्रोलियम मंत्रालय और क्षेत्र के नियामक डीजीएच की रिलायंस इंडस्ट्रीज का पक्ष लेते हुए उसे केजी-डी6 क्षेत्र की लागत को दोगुना करने की अनुमति देने के लिए खिंचाई की है. मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली कंपनी ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है.

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इसके साथ ही कैग ने यह भी निष्कर्ष निकाला है कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने केयर्न इंडिया को अपनी हद से बाहर जाकर राजस्थान ब्लाक में 856 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की और अनुमति दी. उत्पादन भागीदारी करार के तहत केयर्न इंडिया के संचालन वाले राजस्थान के आरजे-ओएन-90-1 ब्लाक में कुल अनुबंधित क्षेत्र 11,108 वर्ग किलोमीटर था.

पेट्रोलियम मंत्रालय ने अगस्त, 2004 और मार्च, 2005 में केयर्न की 852.2 वर्ग किलोमीटर और क्षेत्र की मांग को मान लिया था. कैग ने केजी-डी6 ब्लाक पर अपनी मसौदा आडिट रिपोर्ट में कहा है कि मंत्रालय और हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय ने नियमों को तोड़-मरोड़ कर रिलायंस को ‘भारी लाभ’ पहुंचाया, जब उसे पूरे ब्लाक को रखने की अनुमति दी गई. हालांकि इस लाभ का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है.

केजी-डीडब्ल्यूएन-98-3 या केजी-डी6 ब्लाक पर अपनी अंकेक्षण रपट में कैग ने कहा कि हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय ने रिलायंस को 18 गैस भंडारों में सबसे बड़े धीरूभाई-1 और 3 का विकास करने के लिए पूंजीगत खर्च 117 प्रतिशत तक बढ़ाने की अनुमति दी.

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कैग ने कहा, ‘शुरुआती विकास योजना की लागत 2.39 अरब डालर से बढ़ाकर 5.196 अरब डालर करने से भारत सरकार के वित्तीय राजस्व पर प्रभावी असर पड़ने की संभावना है. हालांकि, इस चरण में उपलब्ध कराई गई सूचना के आधार पर हम इस लागत वृद्धि को उचित करार देने या अन्यथा कहने की स्थिति में नहीं हैं.’

रिलायंस जैसे एक ऑपरेटर को तेल या गैस की बिक्री से हुई आय में से वह खर्च घटाने की अनुमति है जो उसने एक क्षेत्र के विकास पर खर्च किए हैं. कंपनी सरकार सहित अन्य भागीदारों के बीच लाभ बंटवारे से पहले यह खर्च घटाती है.

अनिल अंबानी समूह द्वारा रिलायंस इंडस्ट्रीज पर गैस क्षेत्र की लागत बढ़ाकर दिखाने का आरोप लगाए जाने के बाद कैग को रिलायंस के खातों की जांच करने को कहा गया. कैग की रिपोर्ट पेट्रोलियम मंत्रालय से टिप्पणी मिलने के बाद संसद में पेश की जाएगी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि रिलायंस का इरादा कभी भी शुरुआती लागत के मुताबिक केजी-डी6 गैस क्षेत्र का विकास करने का नहीं रहा क्योंकि उसने मूल योजना के मुताबिक उपकरणों के लिए निविदा जारी करने की पहल नहीं की. मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कैग की टिप्पणी पर जवाब दो सप्ताह में भेज दिया जाएगा.

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रिपोर्ट के मुताबिक, ‘ज्यादातर खरीद संबंधी गतिविधियां काफी देर की हुईं, जो मई, 2004 के आईडीपी के नियमों के मुताबिक थी. इससे स्पष्ट प्रमाण मिलता है कि ऑपरेटर का इरादा इन समय सीमाओं का अनुपालन करने का नहीं था.’

कैग ने सिफारिश की, ‘प्रबंधन समिति में डीजीएच और भारत सरकार के प्रतिनिधियों की भूमिका की गहराई से जांच कर यह पता लगाया जा सकता है कि ऑपरेटर को उत्पादन बंटवारा अनुबंध के प्रावधानों का उल्लंघन करने की अनुमति क्यों दी गई. तत्कालीन हाइड्रोकार्बन महानिदेशक वीके सिब्बल और पेट्रोलियम मंत्रालय में तत्कालीन संयुक्त सचिव (खनन) इस प्रबंधन समिति में थे जो केजी-डी6 ब्लाक के परिचालन को देख रही थी.

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