नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने बुधवार को कहा कि उसने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर अपनी रपट सरकार को सौंप दी है. ऐसा माना जाता है कि इस आवंटन के कारण सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का चूना लगा.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय ने संवाददाताओं को बताया कि हमने अंतिम रपट सरकार को सौंप दी है. मैं रपट के निष्कर्षों का खुलासा नहीं कर सकता. इस रपट को संसद में पेश करने का फैसला सरकार को करना है.
जानकार सूत्रों ने बताया कि कैग ने दूरसंचार मंत्रालय को 2जी स्पेक्ट्रम का कम मूल्यांकन करने का दोषी बताया है और कहा है कि 2008 में यह आवंटन उचित दरों पर नहीं किया गया जिससे सरकार को 1,76,700 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
ऐसा माना जाता है कि रपट में दूरसंचार मंत्री ए राजा की इस बात के लिए आलोचना की गई है उन्होंने स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में वित्त एवं विधि मंत्रालयों की राय पर ध्यान नहीं दिया. इसके अलावा दूरसंचार नियामक ट्राई की भी रपट में आलोचना की गई है कि वह पूरे मामले में मूकदर्शक बना रहा लेकिन कैग की इन कतिपय टिप्पणियों की पुष्टि नहीं की जा सकी है.
समझा जाता है कि रिपोर्ट में कहा गया है कि दूरसंचार मंत्रालय ने जनवरी 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम लाईसेंस आवंटन मामले में मनमाना निर्णय लिया.
सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट की प्रति वित्त मंत्रालय और राष्ट्रपति को सौंप दी गई है. इस प्रक्रिया में 10 से 15 दिन का समय लगेगा और फिर इसे संसद में पेश कर दिया जायेगा. संसद का एक महीने तक चलने वाला शीतकालीन सत्र नौ नवंबर को शुरु हो गया है.