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तेल कंपनियों को होने वाले नुकसान पर कैग की नजर

तेल एवं गैस क्षेत्र अनुबंध के बाद अब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक लागत से कम मूल्य पर डीजल और रसोई गैस की बिक्री से होने वाले नुकसान का लेखा परीक्षण करना चाहता है.

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तेल कंपनियां
तेल कंपनियां

तेल एवं गैस क्षेत्र अनुबंध के बाद अब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) लागत से कम मूल्य पर डीजल और रसोई गैस की बिक्री से होने वाले नुकसान का लेखा परीक्षण करना चाहता है.

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इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) सरकार द्वारा नियंत्रित मूल्य पर डीजल, रसोई गैस और केरोसिन बेचती हैं जो बाजार मूल्य से बहुत कम होता है. खुदरा बिक्री और बाजार दर के बीच फर्क को अंडर रिकवरी कहा जाता है और सरकार लगभग पूरे तौर पर इसकी भरपाई करती है.

पेट्रोलियम मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘कैग ने तेल विपणन कंपनियों को होने वाले नुकसान के लेखा परीक्षण की बात कही है. हमने उनसे कहा कि उनका स्वागत है. यह प्रदर्शन लेखा परीक्षण होगा.’

तेल कंपनियां फिलहाल डीजल 19.26 रुपए प्रति लीटर, केरोसिन 34.34 रुपए प्रति लीटर और 14.2 किलो का एलपीजी सिलिंडर 347 रुपए के नुकसान पर बेच रही हैं.

इस मूल्य पर तीनों कंपनियों को चालू वित्त वर्ष के अंत तक 1,92,951 करोड़ रुपए का नुकसान होगा जिसमें सरकार कम से कम 1,15,770 करोड़ रुपए की भरपाई करेगी.

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