2जी घोटाले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय से जानकारी मांगी है कि उन्होंने किस तरह अनुमान लगाया कि स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
राय सोमवार को कांग्रेस नेता पीसी चाको की अध्यक्षता वाली जेपीसी को 1998 से 2009 तक की अवधि के बीच आवंटन और दूरसंचार लाइसेंसों तथा स्पेक्ट्रम मूल्य की जानकारी देंगे.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने पिछले साल संसद को भेजी गई रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया था कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इस खुलासे से देश में राजनीतिक तूफान आ गया था और दूरसंचार मंत्री ए राजा को इस्तीफा देना पड़ा था.
चाको ने 18 मई को समिति की अंतिम बैठक के बाद कहा था कि आज 1.76 लाख करोड़ रुपये के घोटाले की बात है. वह नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से सुनना चाहते हैं कि वह इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचे.
दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने 1.76 लाख करोड़ रुपये नुकसान के कैग के आकलन को ‘पूरी तरह गलत और निराधार’ करार दिया था.
टूजी स्पेक्ट्रम मामले में सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में सरकारी खजाने को 30 हजार 984 करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही है.
जेपीसी ने सात जून को अपनी बैठक में 2जी मामले में जानकारी देने के लिए सीबीआई निदेशक एपी सिंह को बुलाने का फैसला किया है जब वित्त सचिव प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख और दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) अध्यक्ष जेएस शर्मा मुद्दे पर अपनी बात रखेंगे. शर्मा ने ट्राई की कार्यप्रणाली और दूरसंचार क्षेत्र में इसकी भूमिका पर बात रखी थी जो निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई और आठ जून को जारी रहेगी.