आदर्श हाउसिंग घोटाले के सिलसिले में मामला दर्ज होने के 18 महीने के बाद सीबीआई की ओर से मंगलवार को इस ‘सोसाइटी’ के कुछ सदस्यों के खिलाफ पहला आरोपपत्र दाखिल किए जाने की संभावना है.
इस घोटाले ने महाराष्ट्र में राजनीतिक भूचाल ला दिया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री पद से अशोक चव्हाण को इस्तीफा देना पड़ गया था. चव्हाण इस मामले में 14 आरोपियों में शामिल हैं जबकि केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख और सुशील कुमार शिंदे भी जांच के दायरे में हैं.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को एक आरोपपत्र दाखिल किया जाएगा. वहीं इसके एक दिन बाद बंबई उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई होगी. बंबई उच्च न्यायालय ऐसी कई जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रही है, जिसमें यह मांग की गई है कि इस मामले की जांच की अदालत निगरानी करे.
सीबीआई ने 18 जून को उच्च न्यायालय को भरोसा दिलाया था कि वह चार जुलाई से पहले इस मामले में एक आरोपपत्र दाखिल करेगी क्योंकि जांच एजेंसी को नौकरशाहों के खिलाफ अभियोजन के लिए सरकार से पूर्वानुमति लेनी होगी.
यह उम्मीद जताई जा रही है कि प्रथम आरोपपत्र में किसी (नौकरशाह या सरकारी अधिकारी) कर्मचारी का नाम नहीं हो सकता है क्योंकि उच्च न्यायालय ने सीबीआई को सुझाव दिया था कि वह पहले उन आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करे, जिनके लिए इजाजत लेने की जरूरत नहीं है.
न्यायमूर्ति एसए बोबाडे और न्यायमूर्ति मृदुला भटकर की एक खंड पीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा, ‘कम से कम आरोपपत्र दाखिल करें. आप (सीबीआई) नौकरशाहों के लिए मंजूरी पत्र प्राप्त कर सकते हैं.’ सीबीआई ने पिछले साल 29 जनवरी को चव्हाण एवं 13 अन्य के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था. अन्य लोगों में नौकरशाह एवं सेवानिवृत सैन्यकर्मी शामिल हैं.