सोहाराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में 25 जुलाई को गिरफ्तार किए गए गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह को गुजरात उच्च न्यायालय ने दो दिन की सीबीआई हिरासत में भेजे जाने का आदेश दिया है. उच्च न्यायालय ने एक निचली अदालत के फैसले को दरकिनार कर शाह को सीबीआई हिरासत में लेने की मंजूरी दी है.
न्यायाधीश अकील कुरैशी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी अमित शाह को दो दिन की सीबीआई हिरासत में भेजे जाने का आदेश दिया. हालांकि, सीबीआई ने शाह के लिए 10 दिन की रिमांड मांगी थी.
उच्च न्यायालय ने बचाव पक्ष की ओर से सीबीआई हिरासत में होने वाली पूछताछ की वीडियोग्राफी कराने की अपील भी खारिज कर दी.
इससे पहले, सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 46 साल के शाह को हिरासत में लिए जाने की केंद्रीय जांच एजेंसी की अपील खारिज कर दी थी. विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ सीबीआई ने गुजरात उच्च न्यायालय में अपील की थी.
शाह के वकील महेश जेठमलानी ने मांग की थी कि उनके मुवक्किल की दो दिनी सीबीआई हिरासत के दौरान सभी कार्यवाही की वीडियोग्राफी करायी जाए, लेकिन सीबीआई के वकील के टी एस तुलसी ने इसका विरोध किया था.{mospagebreak}
सीबीआई ने अपनी याचिका में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ए वाई दवे की ओर से पारित आदेश को रद्द करने की मांग की थी. दवे ने शाह को रिमांड पर लेने की अपील खारिज कर दी थी.
जांच एजेंसी के वकील तुलसी ने दलील दी कि मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में गलती की है क्योंकि अपराध का संज्ञान ऐसे मामले में लिया गया है जिसमें आरोप पत्र दायर किया जा चुका है.
सोहराबुद्दीन मामले में आरोप पत्र दायर किए जाने के बाद शाह ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. शाह को हत्या, जबरन वसूली और अपहरण के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है.
सीबीआई रिमांड का विरोध कर रहे शाह के वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने दलील दी कि जांच एजेंसी के पास उनके मुवक्किल को गिरफ्तार करने के लिए कोई सबूत नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि अन्य अहम गवाहों में खौफ पैदा करने के लिए शाह को गिरफ्तार किया गया है.