उच्चतम न्यायालय कनॉट प्लेस में 1997 में हुई फर्जी मुठभेड़ मामले में सोमवार को अपना फैसला सुनाएगा.
इस मुठभेड़ के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक सहायक पुलिस आयुक्त समेत 10 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा दी थी. न्यायमूर्ति एचएस बेदी और न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की पीठ इस मामले में दोषियों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. याचिकाओं में दिल्ली पुलिस के बर्खास्त सहायक आयुक्त एसएस राठी की याचिका भी शामिल है.
उच्च न्यायालय ने 18 सितंबर, 2009 को 10 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी थी. इन पर कनॉट प्लेस में गलत पहचान करते हुए हरियाणा के दो व्यापारियों की हत्या का आरोप था.
इस मामले में दोषी ठहराए गए अन्य नौ पुलिसकर्मी इंस्पेक्टर अनिल कुमार, सब इंस्पेक्टर अशोक राणा, हेड कांस्टेबल शिव कुमार, तेजपाल सिंह, महावीर सिंह, कांस्टेबल सुमेर सिंह, सुभाष चंद, सुनील कुमार और कोठारी राम हैं.
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मुठभेड़ विशेषज्ञ राठी की अगुवाई में 31 मार्च, 1997 को एक कार पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी. पुलिस को संदेह था कि कार में उत्तर प्रदेश निवासी दो गैंगस्टर सवार हैं, जिनकी पुलिस को तलाश थी.