देश के बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में सरकार द्वारा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दिये जाने पर भड़की भाकपा ने आरोप लगाया कि यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के दबाव में किया गया.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी ने इंदौर प्रेस क्लब में कहा, ‘बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के निर्णय के पीछे ओबामा और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का हाथ है, जिन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके मंत्रिमंडल को प्रभावित करके इस सरकारी कदम को सुनिश्चित कराया.’
उन्होंने कटाक्ष किया, ‘ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री भारत की जनता के लिये नहीं, बल्कि अमेरिका, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के लिये जवाबदेह हैं.’ रेड्डी ने दावा किया कि देश के बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में सरकार द्वारा एफडीआई को हरी झंडी दिखाये जाने से कम से कम दो करोड़ लोगों का रोजगार छिनने का खतरा पैदा हो गया है.
उन्होंने मीडिया क्षेत्र में एफडीआई को ‘लोकतंत्र के लिये खतरनाक’ बताया और कहा कि इससे समाचार जगत पर कॉरपोरेट कम्पनियों का सीधा नियंत्रण हो जायेगा.
रेड्डी ने डीजल के दाम में इजाफे और सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर का कोटा तय किये जाने पर भी कांग्रेसनीत सरकार की तीखी आलोचना की. उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार को इन कथित जनविरोधी फैसलों के राजनीतिक नतीजे भुगतने होंगे.
इन फैसलों के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी पर भाकपा महासचिव ने कहा, ‘वह (ममता) पहले भी ऐसी धमकी दे चुकी हैं. ममता और संप्रग सरकार के बीच मैच फिक्सिंग है.’
उन्होंने बताया कि बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई को मंजूरी और डीजल-गैस के दाम में इजाफे के सरकारी फैसलों के खिलाफ भाकपा 20 सितंबर को होने वाले देशव्यापी आंदोलन में शामिल होगी.