विवादों में घिरे केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पीजे थॉमस ने उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों के मद्देनजर अपने संभावित इस्तीफे के ‘कयासों’ को खारिज करते हुए कहा कि उनकी अंतरात्मा साफ है और वे पद पर बने हुए हैं.
थॉमस ने कहा, ‘‘मैं नैतिक रूप से ठीक हूं. मेरी अंतरात्मा बिल्कुल साफ है. मैं केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) पद पर बना हुआ हूं.’’ थॉमस ने कहा कि वे निष्पक्ष व्यक्ति हैं और खुद ही 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले तथा पामोलिन आयात मामले से अलग हो गए हैं, जिन्हें लेकर उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है.
संभावित इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर थॉमस ने कहा, ‘‘यह खयाली सवाल है. मैं इसका उत्तर नहीं दूंगा.’’ 60 साल के थॉमस ने कहा, ‘‘पामोलिन आयात मामला बहुत पुराना मामला है. यह मेरे कार्यकाल में नहीं हुआ. मुझे सच में इस बारे में जानकारी नहीं है. राज्य सरकार का इस पर बहुत ही बचकाना रुख है.’’
हाल तक टेलिकॉम सचिव रहे थॉमस को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की एक समिति ने सीवीसी के पद पर चुना था, लेकिन विपक्ष की नेता और समिति की सदस्य सुषमा स्वराज ने इस पर विरोध जताया था. पद पर नियुक्त होने के तीन महीने के अंदर उनका नाम केरल में पामोलिन आयात के एक मामले में आया. यह मामला तब का है जब वह केरल सरकार में तैनात थे.{mospagebreak}
उच्चतम न्यायालय ने 2जी मामले में सीबीआई जांच को निगरानी करने की उनकी योग्यता पर सवाल उठाए. न्यायालय ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच कर पाना थॉमस के लिए मुश्किल होगा. इसके बाद थॉमस ने मामले से अलग होने की पेशकश की.
थॉमस ने कहा कि मामला केरल की मंत्रिपरिषद द्वारा पामोलिन आयात के फैसले से संबंधित है और खाद्य सचिव के रूप में उन्होंने इसे कार्यान्वित किया. उन्होंने कहा, ‘‘इस आधार पर मेरे खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र का आरोप लगाया जाना हास्यास्पद है.’’ कथित 2जी स्पेक्ट्रम मामले के संबंध में उन्होंने कहा कि मामला विचाराधीन है और उनके लिए इस पर कुछ भी कह पाना उचित नहीं होगा.
यह पूछे जाने पर कि क्या कथित घोटाला उस समय हुआ था जब वह दूरसंचार सचिव नहीं थे, थॉमस ने कहा, ‘‘यह 2007 और 2008 के बीच का मामला है, जब मैं दूरसंचार सचिव नहीं था.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत निष्पक्ष हूं और अपने पास आने वाले प्रत्येक मामले पर कानून के अनुरूप न्यायसंगत फैसला करता हूं.’’ पामोलिन मामले की चर्चा करते हुए थॉमस ने कहा कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई भी मामला नहीं हैं.
{mospagebreak}उन्होंने कहा, ‘‘आपराधिक साजिश क्या है. क्या मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडलीय बैठक में हिस्सा लेना आपराधिक साजिश है? राज्य जांच एजेंसी, चाहे जो भी जांच एजेंसी हो. उसने कहा कि यह मंत्रिमंडलीय बैठक एक आपराधिक साजिश थी और वैसे हर मंत्रिमंडलीय बैठक में सचिव हिस्सा लेते हैं.’’ थॉमस ने कहा, ‘‘आप प्रक्रिया जानते हैं कि बतौर (राज्य के) खाद्य सचिव मैं भी मंत्रिमंडलीय बैठक में था.’’
सीवीसी ने कहा, ‘‘अतएव मंत्रिमंडलीय बैठक में निर्णय लिया गया और बतौर खाद्य सचिव आप आदेश जारी करते हैं. आप जब आदेश जारी करते हैं तो वे कहते हैं मंत्रिपरिषद की बैठक की इस साजिश में आपका भी योगदान है. आप जानते हैं. राज्य जांच एजेंसियों ने ऐसा हास्यास्पद रुख अपनाया. इसमें कोई साजिश नहीं है और न ही कोई भ्रष्टाचार है.’’ उन्होंने कहा कि शीर्ष सतर्कता पद से उनके हटने या उसपर बने रहने के सारे सवाल महज ‘अटकलें’ और ‘राजनीतिक’ हैं.
जब थॉमस से संवाददाताओं ने पूछा कि क्या सरकार उनके इस्तीफे को विपक्ष के साथ मोल भाव के रूप में इस्तेमाल कर रही है या उच्चतम न्यायालय की उनके खिलाफ टिप्पणियों के बावजूद (सीवीसी) पद पर बने रहने को लेकर क्या उनके विवेक ने धिक्कारा नहीं, उन्होंने जवाब दिया, ‘‘एक बार फिर (यह) राजनीतिक सवाल है. अटकल आधारित प्रश्नों का क्या? नहीं, मैं अब भी सीवीसी हूं.’’