सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मिले पत्रों के मुताबिक वर्ष 2004 से तीन केंद्रीय खेल मंत्रियों ने राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति की संरचना और इसके अध्यक्ष सुरेश कलमाडी तथा समिति के कामकाज के खिलाफ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बार-बार चेतावनी थी.
पूर्व खेल मंत्री सुनील दत्त ने कहा था कि आयोजन समिति की अध्यक्षता खेल मंत्री जैसे ‘सरकार द्वारा नामित’ किसी व्यक्ति के द्वारा की जानी चाहिए, जबकि उनके बाद खेल मंत्री बने मणिशंकर अय्यर ने धन के अपव्यय को लेकर समिति की आलोचना की थी.
वहीं, एमएस गिल ने कहा था कि आयोजन समिति की कार्यकारी समिति की बैठक शायद ही कभी होती है और केंद्रीकृत तरीके से लिए गए बड़े फैसले को स्वीकार किया जाता है. इन खेल मंत्रियों द्वारा लिखे गए पत्रों को एससी अग्रवाल द्वारा आरटीआई के जरिए मांगी गई जानकारी पर सार्वजनिक किया गया है.
वर्ष 2004 में जब आयोजन समिति की संरचना को अंतिम रूप दिया जा रहा था, तब तत्कालीन खेल मंत्री सुनील दत्त ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर कहा था कि वह आयोजन समिति के अध्यक्ष के पद पर कलमाडी की नियुक्ति के बारे में भारतीय ओलंपिक संघ के प्रस्ताव से आश्चर्यचकित हैं.
दत्त ने इस बात को मंत्री समूह के फैसले से भिन्न बताया था. उन्होंने दावा किया था कि भारतीय ओलंपिक संघ को यह जानकारी थी कि मंत्री समूह खेलों की तैयारी और आयोजन के लिए खेल मंत्री को आयोजन समिति का अध्यक्ष नियुक्त करने की बात पर सहमत है.
दत्त ने आरोप लगाया था कि कैबिनेट सचिवालय द्वारा मंत्री समूह की बैठक के बारे में जारी किए गए ब्योरे आयोजन समिति की संरचना के विभिन्न पहलुओं के बारे में बैठक के दौरान लिए गये फैसले को जाहिर नहीं करते हैं. पत्र पर यह टिप्पणी लिखी गई थी कि ‘प्रधानमंत्री ने देख लिया है’ और इसके बाद प्रधानमंत्री ने दत्त को पावती भेजी थी.
दत्त के बाद खेल मंत्री बने अय्यर ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्रों में इस बात को रेखांकित किया था कि आयोजन समिति 5,000 डॉलर प्रतिदिन की दर पर परामर्शदाताओं को नियुक्त कर धन का अपव्यय कर रही है और राष्ट्रमंडल खेल महासंघ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी माइक हूपर के लिए दो करोड़ रुपये कीमत का फार्म हाउस और प्रथम श्रेणी का मासिक हवाई टिकट मुहैया कराया गया.