केन्द्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि अक्तूबर में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी हासिल करने के लिए कोई घूस नहीं दी गयी थी और न ही समाज के कमजोर तबके के लिए निर्धारित धन का इस्तेमाल परियोजनाओं की बढ़ी लागत को पूरा करने के लिए किया गया.
खेल मंत्री एम एस गिल ने लोकसभा में मंगलवार को विभिन्न सदस्यों के सवालों के लिखित जवाब में यह बात कही. उन्होंने आयोजन समिति के हवाले से बताया कि राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी हासिल करने के लिए कोई रिश्वत नहीं दी गयी.
उन्होंने आयोजन समिति के ही हवाले से बताया कि राष्ट्रमंडल खेलों की बोली के समय एक लाख डालर प्रति राष्ट्रमंडल खेल संघ को उपलब्ध कराने की पेशकश की गयी थी जिसे टीम तैयारी अनुदान के रूप में राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) के जरिए दिया जाना था.
गिल ने बताया कि एक लाख डालर की प्रतिबद्धता जतायी गयी और राष्ट्रमंडल खेल महासंघ से संबद्ध 70 देशों को प्रत्येक को यह राशि दी गयी. उनसे सवाल किया गया था कि क्या यह धनराशि कुछ देशों को मेजबानी हासिल करने के लिए घूस के रूप में दी गयी थी.
उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि सितंबर 2003 में राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन पर 618 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान लगाया गया था जिसमें खेल ढांचागत सुविधाओं का उन्नयन, खेलों का आयोजन, प्रतिभागियों के लिए भोजन और आवास का प्रबंध आदि शामिल था.{mospagebreak}
गिल ने बताया कि नवंबर 2003 में मेजबानी की बोली लगाने के समय भारतीय ओलंपिक संघ ने 1920 करोड़ रूपये के व्यय का खाका पेश किया. उन्होंने बताया कि राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन पर वर्तमान अनुमोदित व्यय 11,687 करोड़ रुपये है. उन्होंने बताया कि खेलों के आयोजन पर बढ़ी लागत का बोझ केन्द्र सरकार के संबंधित मंत्रालय उठा रहे हैं.
खेल मंत्री ने बताया कि मंत्रालय पहले ही राष्ट्रमंडल खेलों में पदक हासिल करने वालों को दी जाने वाली पुरस्कार राशि को दोगुना करने का ऐलान कर चुका है. डॉ. गिल ने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति ने सूचित किया है कि कुछ स्थलों से कुछ अवसरों पर भोजन बासी होने की शिकायतें मिली थीं. इसका मुख्य कारण सहायक कर्मचारियों की संख्या संभावित संख्या की तुलना में दोगुना होना थी और किराये पर लिया गया कैटरर भोजन की बढ़ी आवश्यकताओं की पूर्ति और उसकी समय पर डिलीवरी नहीं कर सका था, इसलिए कुछ स्थलों पर भोजन की देरी से डिलीवरी के कारण भोजन बासी हो गया था.{mospagebreak}
खेल मंत्री ने प्राप्त रिपोर्ट के हवाले से एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि दिल्ली के विभिन्न थानों में राष्ट्रमंडल खेल कार्यालयों से विभिन्न कम्प्यूटर हार्डवेयर तथा संबंधित पार्ट्स चोरी होने के पांच मामले दर्ज कराए गए. उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम के पुनर्निर्माण के चलते वहां स्थित कार्यालयों को खाली करना पड़ा और तीन अन्य स्थानों को किराये पर लेकर कार्यालय स्थापित किए गए. इस मद में सौ करोड़ रूपये से अधिक की राशि किराये के रूप में देनी पड़ी.