सुधार प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाते हुए सरकार ने बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा मौजूदा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 फीसद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
सरकार ने वित्त संबंधी संसद की स्थायी समिति की सिफारिश को न मानते हुए यह फैसला किया है. समिति ने विदेशी निवेश की सीमा 49 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिये गये इस फैसले के बाद वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने संवाददाताओं के समक्ष स्पष्ट किया कि स्थायी समिति की इस एक सिफारिश को छोड़कर बाकी लगभग सभी सिफारिशों को सरकार ने मान लिया है.
उन्होंने कहा कि बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा है कि बीमा क्षेत्र को बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश की आवश्यकता है. ‘मैंने लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं से आग्रह किया है कि वे इस विधेयक का समर्थन करें.’
चिदंबरम ने कहा कि वह सभी राजनीतिक दलों से भी इस सिलसिले में बातचीत कर विधेयक को पारित कराने का आग्रह करेंगे. कैबिनेट की मंजूरी के साथ ही बीमा कानून (संशोधन) विधेयक के संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने की उम्मीद है.
विधेयक को दिसंबर 2008 में राज्यसभा में पेश किया गया था. इसमें बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढाकर 49 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है.
बीमा क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए 2000 में खोला गया था. बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण कानून 1999 के जरिए ऐसा किया गया था. इस कानून के जरिए बीमा कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी 26 फीसदी तक मान्य हुई.
बीमा उद्योग लंबे समय से विदेशी निवेश सीमा बढाने की मांग कर रहा है. उसकी दलील है कि बीमा क्षेत्र के विस्तार के लिए पर्याप्त धन हासिल करने के उद्देश्य से ऐसा करना आवश्यक है.