सुधारों की दूसरी लहर चलाते हुए सरकार ने पेंशन क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोलने का प्रस्ताव मंजूर किया. साथ ही बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने का फैसला किया.
रिटेल क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति दिये जाने के खिलाफ कुछ सहयोगी दलों के अलावा कई राजनीतिक दलों के कड़े विरोध से विचलित हुए बिना सरकार ने सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दे दी. नमें से कई प्रस्ताव कुछ समय से विचाराधीन थे.
कैबिनेट द्वारा मंजूर पेंशन निधि नियामक एवं विकास प्राधिकरण विधेयक में पेंशन क्षेत्र में विदेशी निवेश का प्रावधान है. बीमा कानून (संशोधन) विधेयक बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 26 से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने का प्रस्ताव करता है.
कैबिनेट ने वायदा अनुबंध नियमन कानून संशोधन विधेयक को भी मंजूरी दे दी जो कमोडिटी बाजार नियामक एफएमसी को अधिक वित्तीय स्वायत्तता के जरिए अधिकारसंपन्न बनाता है. संस्थागत निवेशकों के प्रवेश में मददगार बनता है और कारोबार के लिए नये उत्पादों की पेशकश करता है.
सरकार ने कंपनी कानून से संबंधित संशोधन विधेयक को भी मंजूरी दे दी. महीने भर में ही सरकार की ओर से यह सुधारों की दूसरी लहर है. 13 सितंबर को सरकार ने मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 प्रतिशत एफडीआई के प्रस्ताव को मंजूर किया था. साथ ही नागर विमानन और प्रसारण क्षेत्रों में एफडीआई नियमों में ढील दी गयी.
रिटेल क्षेत्र में एफडीआई के फैसले से काफी हो हल्ला मचा. सरकार को समर्थन कर रही कुछ पार्टियों के अलावा विपक्षी दलों ने सरकार पर कड़े हमले किये. तृणमूल कांग्रेस ने तो सरकार से समर्थन ही वापस ले लिया.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने बताया कि प्रतिस्पर्धा कानून 2002 में आगे और संशोधन करने के निगमित मामलों के मंत्रालय के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. प्रतिस्पर्धा के क्षेत्र में मौजूदा दौर की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है.
चिदंबरम ने कहा कि प्रतिस्पर्धा कानून के दायरे से कोई भी क्षेत्र बाहर नहीं होगा. केवल कुछ विशिष्ट मामलों में ही छूट दी जाएगी.