केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बहुप्रतीक्षित लोकपाल विधेयक के मसौदे पर अनौपचारिक चर्चा की, हालांकि इस पर औपचारिक विचार-विमर्श सोमवार को होगा.
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने लोकपाल की मुख्य विशेषताओं पर जानकारी दी. सूत्रों के मुताबिक मुखर्जी ने बैठक में बताया कि स्थायी समिति की सिफारिशों को शामिल करके लोकपाल विधेयक को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
माना जा रहा है कि इस बैठक में प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री व्यालार रवि ने सुझाव दिया कि लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करते समय गरीबों की पैरोकारी वाली छवि को दिमाग में रखना चाहिए. सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट की बैठक के बाद मुखर्जी, गृह मंत्री पी चिदंबरम, कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी मामले पर प्रधानमंत्री से आगे बात करने के लिए रुक गए.
भ्रष्टाचार विरोधी इस व्यवस्था के दायरे में कुछ शर्तों के साथ प्रधानमंत्री को लाए जाने तथा एक स्वतंत्र अभियोजन निदेशालय बनाए जाने की संभावना है. इस विधेयक को संसद में वर्तमान शीतकालीन सत्र के समापन से पहले पेश करके पारित किए जाने का सरकार का प्रयास है. मसौदे को वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, गृह मंत्री पी चिदंबरम, कानून मंत्री खुर्शीद और वी नारायणसामी का अनौपचारिक मंत्रियों का समूह अंतिम रूप दे रहा है.
सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘आप सब जानते हैं कि संसद सत्र में कितने दिन शेष बचे हैं. हम दिन रात काम करके इसे समय सीमा के भीतर पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं.’ लोकपाल के संदर्भ में कई प्रस्तावों का हवाला देते हुए खुर्शीद ने कहा, ‘सरकार किसी चीज को अनावश्यक विचार के तौर पर नहीं ले रही है, बल्कि कानून के बुनियादी स्वरूप को ध्यान में रखते हुए उसे बेहतर बना रही है.’
लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री को कुछ शर्तों के साथ लाया जा सकता है. सीबीआई को लोकपाल के तहत लाने को लेकर सरकार का रवैया प्रतिकूल है, लेकिन एक स्वतंत्र अभियोजन निदेशालय बनाने के प्रावधानों पर विचार कर रही है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि विधेयक में यह सुझाव दिया जा सकता है कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन अधिनियम में भी संशोधन किया जाए.
लोकपाल विधेयक में इस बात भी प्रावधान हो सकता है कि लोकपाल प्रमुख अथवा इसके किसी सदस्य को कम से कम 100 सांसदों की संयुक्त शिकायत पर हटाया जाएगा. सरकार लोकपाल में आरक्षण की व्यवस्था कर सकती है. इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण दिया जा सकता है. तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों को भी लोकपाल के दायरे में लाने की मांग को लेकर सूत्रों का कहना है कि इसके लिए उचित व्यवस्था बनाने को लेकर बातचीत चल रही है.