महाराष्ट्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि वह निर्देशक प्रकाश झा की फिल्म ‘आरक्षण’ के रिलीज होने के बाद कानून व्यवस्था की स्थिति से निबटने में पूरी तरह सक्षम है.
अदालत में मौजूद गृह विभाग के संयुक्त सचिव से निर्देश पाते हुए सरकारी वकील विजय पाटिल ने कहा कि कानून व्यवस्था को कायम रखना सरकार का दायित्व है.
गौरतलब है कि कथित आरक्षण विरोधी होने की वजह से ‘आरक्षण’ फिल्म विवादों में है और इसे 12 अगस्त को रिलीज होना है.
पाटिल ने कहा, ‘हम इस फिल्म को देखे बगैर यह नहीं कह सकते कि इसके रिलीज होने के बाद कानून व्यवस्था की परेशानी खड़ी होने की कोई संभावना है. हम निर्माता को पत्र लिखकर गृह विभाग के अधिकारियों को फिल्म दिखाने के लिए कह सकते हैं.’ झा के वकील वेंकटेश धोंड और अमित नाइक अदालत में पहले ही कह चुके हैं कि इस फिल्म को रिलीज से पहले किसी नेता या दल को नहीं दिखाया जाएगा.
न्यायमूर्ति डीडी सिन्हा और न्यायमूर्ति ए आर जोशी की खंडपीठ ने यह मामला 9 अगस्त तक के लिए टाल दिया. अदालत नौ अगस्त को इस बारे में फैसला करेगा कि अदालत कोई आदेश पारित करने से पहले इस फिल्म को देखेगी या नहीं.
अदालत दो वकीलों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इन याचिकाओं में ‘आरक्षण विरोधी’ होने के बावजूद इस फिल्म को रिलीज की अनुमति देने का विरोध किया गया है.
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