सुप्रीम कोर्ट ने ने व्यवस्था दी है कि सरकारी प्रतिष्ठानों में पदों के समुन्नयन (ऊपर की ओर उठाने की क्रिया) में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग कोटा जैसे आरक्षण नियम लागू नहीं होंगे क्योंकि इनका लाभ केवल पदोन्नति में दिया जा सकता है.
आरवी रवीन्द्रन और मार्कंडेय काटजू की पीठ ने केन्द्रीय प्रशासनिक पंचाट की चेन्नई शाखा और मद्रास उच्च न्यायालय के इस संयुक्त फैसले को खारिज कर दिया कि आरक्षण के नियम पदों के समुन्नयन में भी लागू होंगे.
न्यायमूर्ति रवीन्द्रन ने आदेश लिखते हुए कहा कि समुन्नयन में न तो नियुक्ति होती है और न ही पदोन्नति होती है, इसलिए इसमें आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाएगा. समुन्नयन में उच्च वेतनमान देकर केवल वित्तीय लाभ उपलब्ध कराए जाते हैं. अगर केवल पदों में समुन्नयन होता है जो पदोन्नति से अलग है, आरक्षण के नियम लागू नहीं होंगे.
न्यायालय ने यह आदेश जारी करते हुए भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) द्वारा दायर अपील को सही ठहराया. इस अपील में पूरे देश में कुछ कर्मचारियों की सेवाएं ग्रेड वन वी में बहाल करने के पंचाट के निर्देशों को चुनौती दी गई थी.
इन कर्मचारियों को पहले आरक्षण नियमों का लाभ देकर ग्रेड तीन से ग्रेड वन वी में समुन्नयन कर दिया गया था.