सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के लिए नौ हजार क्यूसेक जल की आपूर्ति के कावेरी नदी प्राधिकरण के निर्देश का पालन नहीं करने पर कर्नाटक सरकार को आड़े हाथ लिया.
न्यायमूर्ति डी के जैन और न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की खंडपीठ ने कर्नाटक सरकार को चेतावनी दी कि यदि उसने इन निर्देशों का पालन नहीं किया तो फिर न्यायालय को उचित आदेश देना पड़ेगा. न्यायालय दो टीएमसी जल की आपूर्ति का कर्नाटक को निर्देश देने के लिए तमिलनाडु सरकार की अर्जी पर सुनवाई कर रहा था.
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न्यायाधीशों ने कर्नाटक सरकार के वकील से कहा कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले कावेरी नदी प्राधिकरण ने यह आदेश पारित किया था. आप इस पर अमल नहीं करना चाहते हैं. हमें दु:ख है कि सर्वोच्च प्राधिकारी के प्रति आपके मन में यह सम्मान है. आप इन निर्देशों का पालन कीजिए अन्यथा हम आदेश पारित करेंगे.
इसके साथ ही न्यायालय ने कर्नाटक को विपत्ति में जल बंटवारे के फार्मूले के तहत 20 सितंबर से 15 अक्तूबर तक नौ हजार क्यूसेक जल की आपूर्ति करने का निर्देश दिया. न्यायालय ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर इस मामले में जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया है.
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इससे पहले, तमिलनाडु की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने न्यायालय से राज्य के हितों की रक्षा के लिए संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत केन्द्र सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि कावेरी नदी प्राधिकरण के निर्देश पर अमल सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय कर्नाटक में सेना तैनात करने का भी निर्देश दे सकता है.
अनुच्छेद 355 के तहत केन्द्र सरकार का यह कर्तव्य है कि वह बाहरी आक्रमण, आंतरिक गड़बड़ी से राज्यों की रक्षा करे और यह सुनिश्चित करे कि प्रत्येक राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुरूप काम करे. कर्नाटक सरकार 10 सितंबर को सद्भावना के रूप में तमिलनाडु को 20 सितंबर से कावेरी नदी से दस हजार क्यूसेक जल देने के लिए तैयार हो गयी थी.