केंद्र ने केरल की अदालत में भ्रष्टाचार के मामले का सामना कर रहे विवादास्पद नौकरशाह पी जे थॉमस की केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) में रूप में नियुक्ति का बचाव करते हुए सोमवार को कहा कि वह निष्कलंक एवं ईमानदार छवि वाले उत्कृष्ट अधिकारी हैं.
उच्चतम न्यायालय में अटॉर्नी जनरल जी ई वाहनवती की ओर से दाखिल हलफनामा में सरकार ने कहा कि सीवीसी की नियुक्ति मामले पर तीन सदस्यीय उच्च सदस्यीय समिति में आम सहमति बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने जहां एक ओर इस नियुक्ति को मंजूरी दी है वहीं पैनल की तीसरी सदस्य एवं विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने थॉमस की दागदार छवि के कारण उनकी नियुक्ति का विरोध किया है. हलफनामा में कहा गया है कि थॉमस की नियुक्ति में कोई संवैधानिक नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया तथा पद के लिए उनकी योग्यता का निर्णय उच्चतम न्यायालय को नहीं करना चाहिए.
इसमें कहा गया है, ‘यह सर्वविदित है कि पद के लिए योग्यता का मामला नियुक्ति प्राधिकारी के विवेक पर छोड़ दिया जाना चाहिए. योग्यता पर अदालत प्रश्न खड़े नहीं कर सकती तथा इसे नियुक्ति प्राधिकारी पर छोड़ दिया जाना चाहिए.’
सरकार के अनुसार उच्च स्तरीय समिति में सर्वसम्मति की आवश्यकता नहीं है लेकिन निष्कलंक एवं ईमानदार छवि निश्चित रूप से सभी नियुक्तियों में जरूरी तत्व होता है लेकिन किसी भी व्यक्ति की नियुक्ति योग्यता का पहलू है. शपथपत्र में कहा गया है, ‘ईमानदारी योग्यता का प्रश्न हो सकता है लेकिन यह पात्रता नहीं है.’