उत्तर प्रदेश की मुखिया मायावती ने सूबे के बंटवारे को लेकर केंद्र द्वारा भेजे गए पत्र पर कहा कि केंद्र सरकार इस मामले पर कार्रवाई करने की जगह इसे लंबित रखना चाहती है. माया ने कहा कि राज्य-पूनर्गठन और विघटन के लिए कानून संसद में बनते हैं या पास होते हैं. इस संबंध में केंद्र सरकार के पास ही अधिकार है, जिसे राष्ट्रपति से पास कराना जरूरी होता है.
मायावती ने कहा कि 21 नवंबर 2011 को विधानमंडल द्वारा विधेयक को केंद्र सरकार को भेज दिया गया था, जिसे केंद्र की ओर से कुछ सवालों के साथ राज्य को भेज दिया गया है. केंद्र सरकार इस मामले को लंबित रखना चाहती है. केंद्र द्वारा भेजे गये पत्र का राज्य सरकार उत्तर भेजेगी.
मायावती ने कहा कि केंद्र ने पत्र में लिखा है कि राज्य से उत्तर प्राप्त होने के बाद इस पर विचार करेगी. माया ने कहा कि जन आकांक्षाओं के आधार पर केंद्र को कार्रवाई करनी चाहिए. माया ने केंद्र पर हमला करते हुए कहा कि केंद्र ने विधानसभा के प्रस्ताव को नकारा है. केंद्र ने प्रस्ताव पर और भी स्पष्टीकरण मांगा है. केंद्र की नजर में विधानमंडल का कोई महत्व नहीं है.
मायावती ने कहा कि पूर्वांचल, बुंदेलखंड, अवध प्रदेश के प्रस्ताव पर संविधान के मुताबिक कार्रवाई करने के बजाए केंद्र द्वारा जानबूझकर भ्रामक प्रचार किया जा रहा है. केंद्र गंभीर है तो उसे संविधान के प्रावधानों के मुताबिक कार्रवाई करने की आवश्यक्ता है.