scorecardresearch
 

पीएम के लोकपाल के अंदर के विरोध में है सरकार: सिब्बल

केंदीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि सरकार प्रथम दृष्टया प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने के विरोध में हैं, हालांकि पद छोड़ने के बाद उन्हें इसके दायरे में लाया जा सकता है.

Advertisement
X

Advertisement

केंदीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि सरकार प्रथम दृष्टया प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने के विरोध में हैं, हालांकि पद छोड़ने के बाद उन्हें इसके दायरे में लाया जा सकता है.

सिब्बल ने एक निजी समाचार चैनल के एक कार्यक्रम में कहा, ‘सरकार के भीतर, प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में नहीं लाना चाहिए. परंतु इसके साथ हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अगर वह पद त्याग देता है तो उसे मुकदमे से मुक्त नहीं रखा जाना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई भी फैसला सरकार की ओर से उस वक्त किया जाएगा, जब लोकपाल विधेयक का मसौदा कैबिनेट के समक्ष आएगा.

सिब्बल ने कहा कि अगर समाज के सदस्यो की ओर से अकाट्य दलील दी जाती है तो संयुक्त मसौदा समिति में शामिल पांचों मंत्री प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने की बात मानने को इच्छुक होंगे.

Advertisement

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सार्वजनिक तौर पर कह चुके कि वह इस पद को लोकपाल के दायरे में लाने के विचार को लेकर खुले हैं. इस संदर्भ में सिब्बल ने कहा, ‘यह किसी व्यक्ति विशेष, मनमोहन सिंह का सवाल नहीं है. यह एक संस्था से जुड़ा सवाल है.’ प्रधानमंत्री कार्यालय को लोकपाल के दायरे में न न रखने की दलील के पक्ष में सिब्बल ने कहा, ‘दुनिया में किस प्रधानमंत्री के खिलाफ पद पर बने रहते समय मुकदमा चलाया गया है? आप बताइए, कृपया एक मिसाल दीजिए?’

सिब्बल ने कहा कि अन्ना हजारे के साथ लोग इसलिए खड़े हुए क्योंकि वे भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर नहीं जानते कि लोकपाल विधेयक क्या है.

उन्होंने कहा, ‘अन्ना हजारे ‘हैमलिन के पाइड पाइपर’ की तरह हैं. लोग भ्रष्टाचार से तंग हैं और सरकार भी है. हम इससे निपटना चाहते हैं. परंतु जो लोग उनका (हजारे) अनुसरण करते हैं और कहते हैं कि भ्रष्टाचार से निपटना चाहिए. वे यह भी नहीं जानते कि लोकपाल विधेयक क्या है.’

समिति में शामिल समाज के सदस्यों के साथ मतभेद के बारे में उन्होंने कहा, ‘हम इस बात की पूरी कोशिश करेंगे कि जितना संभव हो सके मतभेदों को दूर किया जाए. जब अवरोध आएगा तो हम देखेंगे. सवाल यह है कि लोकपाल का दायरा कितना होना चाहिए.’

Advertisement

सिब्बल ने कहा कि इस बारे में कोई मतभेद नहीं है कि सरकार से बाहर एक स्वतंत्र लोकपाल होना चाहिए जिसके पास शक्ति हो और वह पूरी स्वतंत्रता के साथ जांच कर सके एवं मुकदमा चला सके. उन्होंने कहा कि नौकरशाहों के खिलाफ मुकदमे के लिए भी सरकार के मंजूरी कोई जरूरत नहीं होगी.

समाज के सदस्यों की ओर से कई मामलो पर मतभेद के दावों के संदर्भ में सिब्बल ने कहा, ‘बहुत सारे क्षेत्रों में सहमति बनी है, जिनके बारे में अभी सार्वजिनक तौर पर जानकारी नहीं है.’

दूरसंचार मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाल रहे सिब्बल ने कहा कि लोकपाल को उच्च स्तर के भ्रष्टाचार के मामलों से निपटना चाहिए, अन्यथा केंद्र सरकार के 40 लाख कर्मचारियों से जुड़े मामलों से निपटने के लिए बड़े पैमाने में बुनियादी ढांचे की जरूरत होगी.

उन्होंने कहा, ‘‘इसे सीमित रखते हैं. निचले स्तर के भ्रष्टाचार से निपटने के लिए पहले से ही व्यवस्था मौजूद है. इसे मजबूत किया जाना चाहिए. ऐसी कोई व्यवस्था न हो, जिसका प्रबंधन न किया जा सके.’’

सिब्बल ने कहा, ‘नयी नियुक्तियों तक लोकपाल के ढांचे में मौजूदा लोगों को शामिल करना होगा, जिन्हें समाज के सदस्य भ्रष्ट करार देते हैं. ऐसे में वे कैसे शुद्ध होंगे और कैसे बदलाव करेंगे.’ उन्होंने कहा कि लोकपाल के तहत संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को शामिल करने के मुद्दे पर सरकार का रुख लचीला है.

Advertisement

सिब्बल ने कहा, ‘मैं लोकपाल के दायरे में सीबीआई और सीवीसी को जाने के पक्ष में नहीं हूं. सीबीआई और सीवीसी को खत्म करने की कोई जरूरत नहीं है.’

सिब्बल ने कहा कि कानून मंत्रालय की ओर से तैयार लोकपाल विधेयक का मसौदा सरकार का विचार नहीं है क्योंकि यह अभी कैबिनेट के पास विचार-विमर्श के लिए नहीं आया था. उन्होंने कहा कि कैबिनेट के पास एक मसौदा भेजा जाएगा और जिन बिंदुओं पर मतभेद हैं, उनके बारे में दोनों पक्षों के विचार भेजे जाएंगे.

हजारे की ओर से फिर से अनशन करने की धमकी देने के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा कि वह इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.

Advertisement
Advertisement