उच्चतम न्यायालय ने रद्द किये गए सारे 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं करने के सरकार के निर्णय पर शुक्रवार को आपत्ति करते हुए कहा कि केन्द्र उसके आदेश से खिलवाड़ कर रहा है.
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन की खंडपीठ ने स्पेक्ट्रम की बिक्री सीमित करने के लिए सरकार की खिंचाई की और दो फरवरी के निर्णय में रद्द किये गये सारे स्पेक्ट्रम को नीलामी के लिए पेश नहीं करने पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है. इस मामले में अब 19 नवंबर को आगे सुनवाई होगी.
न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम स्पष्ट रूप से आपसे यह कह सकते हैं कि आप हमारे आदेश पर अमल नहीं कर रहे हैं परंतु पहली नजर में हमारे आदेश से खिलवाड़ किया जा रहा है.’ न्यायाधीशों ने कहा, ‘आपको हमारे द्वारा रद्द किये गये सभी 22 सेवा क्षेत्रों के स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए पेश करने हैं. हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे निर्देशानुसार ही आपको सभी 22 सर्किल में 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस देने की कवायद करनी है.’
न्यायालय ने सरकार के रवैये पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि दो फरवरी के फैसले के बाद दस महीने के दौरान केन्द्र ने इसकी सूचना क्यों नहीं दी जबकि इस मामले में कई बार इसकी सुनवाई हुयी. न्यायाधीशों ने कहा, ‘हमने हमेशा भरोसा किया कि आप हमारे आदेश पर अक्षरश: अमल कर रहे हैं. इसके साथ ही न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया कि नीलामी की प्रक्रिया 12 नवंबर को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही होगी.
अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ए एस चंडियोक की दलीलों के बीच ही न्यायाधीशों ने कहा कि हम सिर्फ यही चाहते हैं कि दो फरवरी के फैसले में रद्द सारे स्पेक्ट्रम की नीलामी हो. केन्द्र सरकार का कहना था कि ऐसा तो ट्राई की सिफारिश के आधार पर किया जा रहा है. इस तरह की दलील से न्यायालय संतुष्ट नहीं था.
न्यायालय एसोसिएशन ऑफ जीएसएम मोबाइल आपरेटर्स की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. यह संगठन चाहता है कि टाटा समूह की दो कंपनियों को आवंटित एयरवेव्ज भी 2जी स्पेक्ट्रम में रद्द किये गये 122 लाइसेंसों के साथ नये सिरे से नीलामी में शामिल किये जाएं. सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने 170 मेगाहार्ट्ज स्पेक्ट्रम की भी नीलामी का अनुरोध किया है.
जीएसएम की शीर्ष संस्था सीओएआई ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि दो फरवरी के फैसले के तहत 122 लाइसेंस रद्द होने से उपलब्ध सारे स्पेक्ट्रम की नीलामी का निर्देश दिया जाये. इस संगठन का तर्क है कि सीमित मात्रा में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन की जमाखोरी करके सरकार स्पेक्ट्रम की कीमत बढ़ाने का प्रयास कर रही है. पांच कंपनियां, भारती एयरटेल, आइडिया, वोडाफोन, वीडियोकान और टेलेनॉर के 1800 मेगाहार्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी में हिस्सा लेने की उम्मीद है.