इस सदी का सबसे लंबी अवधि और सबसे अधिक अंधेरा करने वाला संपूर्ण चंद्रग्रहण बुधवार को लगने वाला है.
नेहरू तारामंडल के निदेशक एन रथनाश्री ने बताया कि इस अवसर पर चांद धरती के सबसे अंधेरे साए (अंब्रल) से काफी गहराई तक ढक जाएगा. उन्होंने बताया कि यह चंद्रग्रहण कुल 100 मिनट का होगा और इससे अधिक अवधि का ग्रहण वर्ष 2000 के जुलाई महीने में लगा था. इस तरह का अगला ग्रहण वर्ष 2141 से पहले नहीं दिखेगा.
यह ग्रहण भारतीय समयानुसार रात 12 बज कर 52 मिनट 30 सेकेंड पर शुरू होगा और दो बज कर 32 मिनट 42 सेकेंड पर खत्म होगा. इसके अलावा आंशिक ग्रहण रात 11 बज कर 52 मिनट 56 सेकेंड पर शुरू हो कर तीन बज कर 32 मिनट 15 सेकेंड तक जारी रहेगा.
संचारकों और शिक्षकों के विज्ञान प्रचारक संघ (स्पेस) के सी बी देवगन ने बताया कि यह ग्रहण पूर्ण रूप से अफ्रीका और मध्य एशिया में दिखाई देगा. इसके अलावा दक्षिण अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका और यूरोप में यह बढ़ते वक्त और पूर्वी एशिया व ऑस्ट्रेलिया में खत्म होते हुए दिखाई देगा.
भारतीय भूमंडलीय संस्था के एन श्री रघुनंदन कुमार ने बताया कि यह ग्रहण 1.70 पैमाने का होगा. भारत में अगला चंद्रग्रहण इस साल के दिसंबर में दिखेगा. कुमार ने बताया कि बुधवार रात 11 बज कर 29 मिनट पर चांद 51 ओफिउची नाम के तारे के पीछे छिप जाएगा और 90 मिनट के बाद 16 जून की सुबह एक बज कर एक मिनट पर दिखेगा.
चंद्र ग्रहण तब लगता है जब सूर्य के चारों ओर अपनी परिक्रमा के दौरान धरती चांद और सूर्य के बीच में इस तरह आ जाती है कि चांद धरती की छाया में छिप जाता है. यह तभी संभव है जब सूर्य, धरती और चांद अपनी कक्षा में एक दूसरे के बिलकुल सीध में पहुंच जाएं.