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सेरिब्रल पाल्सी की मरीज ने एक उंगली से लिखी 50 हजार शब्दों की किताब

सेरिब्रल पाल्सी की वजह से जीवन के 44 बरस व्हीलचेयर पर बिता चुकी मालिनी चिब ने जब अपनी यादों को 50 हजार शब्दों की आत्मकथा का रूप देने का फैसला किया तो उनके पास हाथ की केवल एक उंगली की मदद लेने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था.

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सेरिब्रल पाल्सी की वजह से जीवन के 44 बरस व्हीलचेयर पर बिता चुकी मालिनी चिब ने जब अपनी यादों को 50 हजार शब्दों की आत्मकथा का रूप देने का फैसला किया तो उनके पास हाथ की केवल एक उंगली की मदद लेने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था.

मुंबई निवासी मालिनी की हाल ही में जारी आत्मकथा का शीषर्क ‘वन लिटिल फिंगर’ ही है. 200 पृष्ठों की इस आत्मकथा को लिखने में मालिनी को दो साल से अधिक समय लगा क्योंकि वह बाएं हाथ की तर्जनी से लैपटॉप पर एक एक अक्षर टाइप करती थीं.

विकलांगता और समाज के जड़ रवैये के बावजूद मालिनी ने हार नहीं मानी और तमाम विषमताओं को धता बताते हुए उसने अपनी तर्जनी से टाइपिंग सीखी. बोलने में समस्या होने के बावजूद उन्होंने लाइटराइटर की मदद से बोलने की कोशिश की.

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तंत्रिकाओं की समस्या, सेरिब्रल पाल्सी ने आघात की तरह ही मालिनी के शरीर पर जन्म से असर डाला और उनके लिए शारीरिक गतिविधियां तथा बोलना एक समस्या बन गया. लेकिन उनके मस्तिष्क के संज्ञान संबंधी कार्यकलाप सेरिब्रल पाल्सी से बेअसर रहे.

किताब में मालिनी ने इस बीमारी को परास्त करने की अपनी कोशिश, पक्षपात, पूर्वाग्रह, सामाजिक नजरिया और लोगों का अपने प्रति व्यवहार बताने की कोशिश की है. यहां आयोजित एक कार्यक्रम में मालिनी ने बताया ‘यह किताब मेरे जीवन का सर्वाधिक गौरवपूर्ण पल है.’{mospagebreak}
विकलांगों के लिए भारत में अनुकूल माहौल और सुविधाएं न होने की वजह से मालिनी के अभिभावक उन्हें ब्रिटेन ले गए. वहां मालिनी ने लंदन विश्वविद्यालय से ‘वूमन स्टडी’ में और लंदन मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी से ‘लायब्रेरी साइंसेज एंड इन्फर्मेशन मैनेजमेंट’ में स्नातकोत्तर की डिग्रियां लीं.

मालिनी ने मुंबई के ऑक्सफोर्ड बुक स्टोर में सीनियर इवेन्ट्स मैनेजर के तौर पर काम भी किया.

कोलकाता में ‘एपीजे कोलकाता लिटररी फेस्टीवल’ में अपनी किताब जारी होने के अवसर पर मालिनी ने कहा कि उनके जीवन में विकलांगता की तुलना में और बहुत कुछ है.

लंदन के सभी पबों में जाने वाली ‘पार्टी गर्ल’ मालिनी कहती हैं ‘मुझे हर दिन पार्टी पसंद है. मुझे कपड़े खरीदना भी अच्छा लगता है.’ पर उनकी शिकायत है ‘लोग मुझे पार्टी के लिए या अपने घर नहीं बुलाते. मुझे इससे अलग थलग होने का अहसास होता है. मुझे लगता है कि हमें और सामाजिक संवाद की जरूरत है.’ शायद यही वजह है कि मालिनी सोशल नेटवर्किंग साइटों के जरिये अपने मित्रों से लगातार संपर्क बनाए रखती हैं.

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