चंडीगढ़, जिसकी परिकल्पना और निर्माण आजादी के बाद के वर्षों में वास्तव में बिल्कुल कोरे कागज से शुरू किया गया था, तेजी से दिल्ली के उत्तर का सबसे पसंदीदा शहरी केंद्र बनता चला गया. इसके स्विस-फ्रैंच आर्किटेक्ट ला कार्बूजिए ने 5 लाख जनसंख्या की कल्पना की थी. आज यह 10 लाख से ज्यादा हो चुकी है. इसके बावजूद यह आश्चर्यजनक ढंग से अपने उस मूल स्वरूप को बचाए हुए है, जो बहुत बारीकी से पहले निर्धारित किया गया था. मजेदार बात यह है कि 1950 के दशक में बने मास्टर प्लान में कोई बड़ा फव्रबदल नहीं किया गया है.
एक संघ शासित प्रदेश और पंजाब व हरियाणा की संयुक्त राजधानी होने के बावजूद यह रहने के लिहाज से सबसे आकर्षक शहरों में से एक है. इसमें बड़े मेट्रोपॉलिटन शहर की सारी सुविधाएं मौजूद हैं. बड़े शहरों वाली ज्यादातर दिक्कतें यहां नहीं हैं. दूरियां बहुत कम हैं और शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगता.
यहां चिकित्सा सुविधाएं दिल्ली के टक्कर की हैं. सरकारी पैसे से चलने वाले पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल एजुकव्शन ऐंड रिसर्च (पीजीआइएमईआर) के अलावा फोर्टिस, मैक्स और अलकैमिस्ट जैसे निजी चिकित्सा संस्थान भी यहां हैं. इसके अलावा यह देश का एक सबसे कम प्रदूषित शहर है. वरिष्ठ पत्रकार और लेखक खुशवंत सिंह ने एक बार चंडीगढ़ को 'हरी झाड़ियों और सफव्द दाढ़ियों' का शहर कहा था, जिसका इशारा सशस्त्र बलों के अधिकारियों और नागरिक प्रशासकों की बड़ी संख्या की ओर था, जिन्होंने रिटायर होने के बाद चंडीगढ़ को अपना ठिकाना बना लिया था.
आज हरियाली की चादर बहुत ज्यादा फैल चुकी है, जिसमें 2,000 एकड़ के पार्क और गार्डन हैं, जिनकी नियमित और अच्छी देखभाल की जाती है. सुखना झील उत्तर-पूर्वी सीमा पर एक विशाल कृत्रिम झील है, जिसकी क्षमता 2010 की गर्मियों में खुदाई मशीनों की मदद से भारी पैमाने पर गाद निकालकर बढ़ाई गई है. सेक्टर 11 में रहने वाले भोगल अहलूवालिया कहते हैं कि सुखना का मुख्य मार्ग ''पैदल टहलने के लिए दुनिया भर में कहीं से भी अच्छी जगह है.'' जो हजारों नागरिक इस जगह पर रोजाना व्यायाम करने या घूमने चले आते हैं, वे जाहिर तौर पर इससे सहमत हैं.
चंडीगढ़ शहर पुराना होता जा रहा है और इसकी आबादी युवा होती जा रही है. शहर उत्तरी क्षेत्र के लिए एक बड़ा शिक्षा केंद्र है, जहां चंडीगढ़ के इर्दगिर्द के दर्जनों निजी संस्थानों के अलावा पंजाब विश्वविद्यालय, तीन इंजीनियरिंग और एक आर्किटेक्चर कॉलेज में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से छात्र आते हैं.
चंडीगढ़ के पहले से ही अच्छे-खासे नागरिक ढांचे में पिछले कुछ वर्षों में काफी ज्यादा विकास हुआ है. बहुत ज्यादा बढ़ चुके यातायात के प्रवाह को संभालने के लिए सभी बड़ी सड़कों को चौड़ा करके चार लेन का किया जा चुका है. और इन्हें साइकिल सवारों और पैदल चलने वालों के लिहाज से भी बनाया गया है.
राजीव गांधी चंडीगढ़ टेक्नोलॉजी पार्क (आरजीसीटीपी), जो एक विशेष आर्थिक क्ष्ोत्र (एसईजेड) है, अब आइटी उद्योग के लिए स्थापित केंद्र बन चुका है. विप्रो, टेक महिंद्रा एसेस जैसी शीर्ष फर्मों और भारती जैसे संगी साथियों के आ जाने के साथ ही अब यह अपने दूसरे चरण में आ चुका है. स्थानीय हवाई अड्डे को अपग्रेड किया गया है और यहां से जल्द ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होने की उम्मीद है और जुड़वां शहर मोहाली में दूसरे अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल पर काम चल रहा है.
पिछले वर्षों में हॉस्पिटलिटी सेक्टर को भी उछाल मिली है. 2010 में जेडब्लू मैरियट होटल शुरू हुआ. दूसरे कई अंतरराष्ट्रीय होटलों का निर्माण चल रहा है. उन्हें उम्मीद है कि अब शहर के एक बड़े कॉर्पोरेट और कन्वेशन सेंटर के तौर पर स्थापित हो जाने के बाद वे व्यवसाय के लिए यहां आने वालों की संख्या में बढ़ोतरी का लाभ ले सकेंगे. फव्डरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की), पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) और कॉन्फव्डरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआइआइ) के क्षेत्रीय कार्यालय यहां पर हैं. मॉल्स और मल्टीप्लैक्सेज के अलावा चंडीगढ़ में कई ए-ग्रेड के रेस्तरां भी हैं, जो कॉस्मोपॉलिटन स्वाद परोसते हैं.
दो राज्य सरकारों और संघ शासित प्रदेश के प्रशासन के साथ यहां अभी भी सबसे बड़ी नियोक्ता सरकार ही है. आरजीसीटीपी में आइटी और संबद्ध क्षेत्र के 5,000 पेशेवरों को रोजगार मिला हुआ है लेकिन उम्मीद है कि पूरा होने के बाद यहां 25,000 लोगों को रोजगार मिलेगा.
शहर बेहद छोटे से 114 वर्ग किमी इलाके में सीमित है और साथ ही इसके कठोर उपनियम, जो पांच मंजिल से ऊंची इमारत के निर्माण की अनुमति नहीं देते हैं, इसके आगे विकास की संभावना को बाधित कर देते हैं. मोहाली (पंजाब) और पंचकूला (हरियाणा) की इससे सटी हुई उपनगरीय टाउनशिप मोटे तौर पर चंडीगढ़ के ही नक्शेकदम पर चलती हैं, लेकिन बुनियादी ढांचे, नागरिक सुविधाओं या प्रशासन के मामलों में वे चंडीगढ़ की बराबरी नहीं कर सकी हैं.
नतीजाः रियल एस्टेट की कीमतें लगातार ऊपर होती जा रही हैं, जिससे चंडीगढ़ नए निवासियों के लिए और वाणिज्यिक निवेशकों के लिए कहीं ज्यादा महंगा हो गया है. मगर रियल एस्टेट में निवेश मोटे मुनाफे का सौदा है. इस बीच चंडीगढ़ में स्थान की पाबंदियों ने इसके आसपास के इलाकों में अनियोजित शहरी विकास को जन्म दिया है और इसका बोझ शहर के बुनियादी ढांचे पर पड़ना शुरू हो चुका है.