छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की राज्य में कोयला ब्लॉक आवंटन पर 1,054 करोड़ रुपये के संभावित नुकसान की रिपोर्ट ‘काल्पनिक’ है.
कैग ने वित्त वर्ष 2010-11 आडिट रिपोर्ट (सिविल एंड कमर्शियल) में अप्रैल में छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम (सीएमडीसी) द्वारा केंद्र से आवंटित ब्लॉक से कोयले के व्यावसायिक खनन के लिए सिर्फ एक बोली स्वीकार करने के लिए उसकी खिंचाई की है.
भाजपा शासित राज्य की सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि कोयला ब्लाक भटगांव-दो और भटगांव दो विस्तार का आवंटन केंद्र सरकार द्वारा सीएमडीसी को व्यावसायिक खनन के लिए किया गया था. सीएमडीसी ने इन ब्लॉकों का विकास संयुक्त उद्यम में करने का फैसला किया. इस उद्यम में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी सीएमडीसी ने अपने पास रखी है.
बयान में कहा गया है कि 49 फीसद हिस्सेदारी वाले संयुक्त उद्यम भागीदार के चयन के लिए सीएमडीसी ने प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया चुनी. भटगांव दो और भटगांव दो विस्तार के लिए क्रमश: पांच और दो बोलियां मिलीं. इनमें क्रमश: दो और एक बोली पात्रता मानदंड को पूरी करती थीं.
बोली लगाने वाली कंपनियों को प्रत्येक टन कोयले के खनन पर सीएमडीसी को शुद्ध लाभ में 51 प्रतिशत हिस्सा या उनके द्वारा सरकारी कंपनी को की गयी सुनिश्चित भुगतान की पेशकश, में जो भी अधिक हो, उसे देना था.
बयान में कहा गया है कि यह कोयला ब्लॉकों के विकास के लिए प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये संयुक्त उद्यम भागीदार के चयन का मामला था, न कि कोयला ब्लॉक आवंटन का.
बयान में कहा गया है कि सीएमडीसी और राज्य सरकार ने इस तथ्य की जानकारी छत्तीसगढ़ के महालेखाकार को दी थी. चूंकि एजी के पास किसी तरह की भूगर्भीय विशेषज्ञता नहीं है, इसलिए वह दोनों ब्लॉकों के तकनीकी अंतर को पकड़ नहीं सका और उसने नुकसान का काल्पनिक अनुमान लगा लिया.
बयान में बताया गया है कि एसएमएस इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. दोनों कोयला ब्लाकों के लिए सफल बोलीदाता रही. उसने सांविधिक शुल्कों का भुगतान करने के बाद इन परियोजनाओं में सीएमडीसी को क्रमश: रायल्टी के 460 प्रतिशत और रायल्टी के 108 प्रतिशत के बराबर भुगतान करने की पेशकश की.
सीएमडीसी के निदेशक मंडल ने इन प्रस्तावों पर निर्णय किया और माना कि दूसरी परियोजना में पेश कम होने का कारण वहां की भूगर्भीय परिस्थितियां थीं क्यों कि उन परिस्थितियों में खनन लागत उंची होती है.