केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती पी. चिदंबरम का 26/11 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के परिप्रेक्ष्य में आतंकवाद से निपटने की बनाई रणनीति उपयुक्त थी. साथ ही उन्होंने सुधार की गुंजाइश का दरवाजा भी खुला रखा.
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि मेरे पूर्ववर्ती ने मुंबई हमले के परिप्रेक्ष्य में जो रास्ता अपनाया वह उपयुक्त था. उन्होंने कहा कि सरकार नीतियों को जारी रखेगी. उन्होंने कहा कि अगर सुधार की कोई गुंजाईश होगी तो संबंधित फोरम पर चर्चा के बाद ऐसा किया जाएगा.
माओवादी समस्या पर शिंदे ने कहा कि नक्सलवाद की समस्या से एक दिन में नहीं निपटा जा सकता और समस्या से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को लगातार प्रयास करना होगा.
शिंदे ने कहा कि 1960 की शुरुआत से ही देश में माओवाद की समस्या है और इससे निपटने के लिए प्रधानमंत्री आदिवासियों के पुनर्वास और भूमि के मालिकाना हक की समस्या पर जोर दे रहे हैं.
उन्होंने इन बातों से इंकार किया कि माओवाद की समस्या से निपटने में उनका रुख नरम होगा. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर इस समस्या को उन्होंने गढ़चिरौली में देखा है.
यह पूछने पर कि क्या वह एनसीटीसी के विवादास्पद मुद्दे को बरकरार रखेंगे तो शिंदे ने कहा कि राज्यों की चिंताओं को दूर करने के लिए चिदंबरम ने कुछ कदम उठाए थे. संप्रग के सहयोगी तृणमूल कांग्रेस सहित कई राज्य एनसीटीसी के विरोध में हैं.