चिल्कारी नरसंहार मामले में अपना बेटा खो चुके झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि इस मामले माओवादियों को दी गई मौत की सजा काफी कठोर है. उन्होंने राज्य सरकार से माओवादियों से बातचीत की पहल करने को कहा है.
मरांडी ने संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार को इस समस्या से निजात पाने के लिए माओवादियों के साथ वार्ता की पहल करनी चाहिए. अगर माओवादियों को अपने किए पर पछतावा है तो उन्हें माफी दी जानी चाहिए और उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस आने का मौका देना चाहिए.’
वर्ष 2007 में चिल्कारी नरसंहार मामले में अदालत द्वारा चार माओवादियों को फांसी की सजा के बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मैं फांसी की सजा से खुश नहीं हूं. यह काफी कठोर सजा है. मैं उन चारों माओवादियों को सलाह दूंगा कि वे इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करें.’
माओवादियों के हमले में अपने बेटे अनूप को खो चुके राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने नरसंहार की घटना से पहले इन माओवादियों के खिलाफ गिरिडीह में अभियान चलाया था. गौरतलब है कि माओवादियों ने 26 अक्तूबर 2007 में गिरिडीह के चिल्कारी में मरांडी के बेटे अनूप सहित 20 गांव वालों की नृशंस हत्या कर दी थी.
माओवादियों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए राज्य सरकार ने पिछले साल से ‘अभियान नयी दिशा’ चलाया है. अब तक विभिन्न प्रतिबंधित माओवादी गुटों के 30 से अधिक नक्सली पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर चुके हैं और राज्य की आत्मसमर्पण नीति के तहत मिलने वाले लाभ पा चुके हैं.