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सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर चीन का अस्पष्ट रुख कायम

चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिये भारत सहित जी 4 देशों का समर्थन करने के अपने अस्पष्ट रुख पर कायम है और वह इस मुद्दे पर आमराय तक पहुंचने के लिये व्यापक स्तर पर परामर्श करने की हिमायत कर रहा है.

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चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिये भारत सहित जी 4 देशों का समर्थन करने के अपने अस्पष्ट रुख पर कायम है और वह इस मुद्दे पर आमराय तक पहुंचने के लिये व्यापक स्तर पर परामर्श करने की हिमायत कर रहा है.

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सुरक्षा परिषद में भारत, ब्राजील, जापान और जर्मनी की स्थायी सदस्यता के दावे पर अपना स्पष्ट रुख जाहिर करने से इनकार करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मा झाउशु ने इस मुद्दे पर ‘आमराय के लिये वार्ता’ पर विशेष जोर दिया.

यह पूछे जाने पर कि कुछ चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि बीजिंग सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट के लिये भारत के दावे का विरोध नहीं कर सकता है लेकिन वह जापान को समर्थन देने पर सख्त ऐतराज जता सकता है. इसके जवाब में झाउशु ने कहा कि उनका देश यह चाहता है कि सदस्य देशों के बीच परामर्श के जरिये व्यापक आधार वाली आमराय बने.

उन्होंने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि हमारा मानना है कि सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे पर, सदस्य देशों को व्यापक रूप से लोकतांत्रिक परामर्श करना चाहिए, जिसमें सभी पक्षों की चिंताओं पर गौर करना चाहिए और सर्वाधिक व्यापक आधार वाले आमराय तक पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए.

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झाउशु ने कहा, ‘चीन हमेशा ही सभी पक्षों के साथ संपर्क में रहेगा और यह सुनिश्चित करने के लिये कार्य करेगा कि यह सुधार सभी सदस्य देशों के साझा हितों में मदद करे.’ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य चीन ने यह स्पष्ट करने से इनकार कर दिया है कि वह सुरक्षा परिषद के नये ढांचे में भारत और जापान की स्थायी सदस्यता का समर्थन करेगा या नहीं. {mospagebreak}

हालांकि, भारत की स्थायी सदस्यता के दावे को सुरक्षा परिषद के अन्य चारों स्थायी सदस्य अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन अपना समर्थन जाहिर कर चुके हैं.

गौरतलब है कि सुरक्षा परिषद में सुधार को इस साल अंतिम रूप दिये जाने संबंधी जी 4 देशों की मांग पर झाउशु ने 13 फरवरी को अपने एक बयान में कहा था कि इस मुद्दे पर सदस्य देशों के बीच बहुत अधिक मतभेद हैं. उन्होंने इसके लिये व्यापक स्तर पर आमराय बनाये जाने की अपील की थी. उन्होंने चेतावनी दी थी कि सुरक्षा परिषद में सुधार की योजना पर जल्दबाजी में कार्य करने के लिये मजबूर किये जाने पर न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि इस प्रक्रिया को भी नुकसान पहुंचेगा.

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