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कैसे बनी एप्पल दुनिया की नंबर 1 कंपनी?

एप्पल दुनिया की सबसे अधिक मूल्यवान कम्पनी बन गई है, लेकिन कम ही लोगों को यह पता होगा कि इसने अपना कारोबारी सफर कर्ज लेकर शुरू किया था.

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एप्पल दुनिया की सबसे अधिक मूल्यवान कम्पनी बन गई है, लेकिन कम ही लोगों को यह पता होगा कि इसने अपना कारोबारी सफर कर्ज लेकर शुरू किया था.

क्यूपर्टिनो मुख्यालय वाली प्रौद्योगिकी कम्पनी ने बुधवार को एक्सॉन मोबिल कॉर्प से दुनिया की सबसे मूल्यवान कम्पनी का सेहरा छीन लिया, जिस पर एक्सॉन मोबिल का 2005 से अधिकार था.

बुधवार को कारोबार की समाप्ति पर एप्पल की कुल बाजार पूंजी बढ़कर 337 अरब डॉलर हो गई, जो एक्सॉन से कुछ ज्यादा है. मोटे अंकों में हालांकि एक्सॉन की बाजार पूंजी भी 337 अरब डॉलर ही है.

एपल की शुरुआत स्टीव जॉब्स और स्टीव वोजनेक ने 1976 में इंटेल के एक अधिकारी से कर्ज लेकर शुरू की थी. जॉब्स के 1997 में वापस एप्पल से जुड़ने के बाद एपल ने काफी तेजी से विकास किया.

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जॉब्स ने एप्पल में सुधार करने के लिए बिल गेट्स से 15 करोड़ डॉलर का कर्ज लिया और कम्पनी में एक-के-बाद-एक कई सुधार किए.

कम्पनी के लिए पहला बड़ा समय 2001 में आया जब उसने आईपॉड लांच किया. देखते-देखते यह दुनिया में सबसे अधिक बिकने वाला उपकरण बन गया. इसके बाद दूसरा बड़ा क्षण 2003 में आया जब कम्पनी ने ऑनलाइन रिकार्ड संग्रह वाला आईट्यून स्टोर शुरू किया.

लगातार नई चीजों की खोज में लगी कम्पनी ने 2007 में आईफोन पेश किया। इसे भी बाजार में पूरी सफलता मिली. खास बात यह है कि कम्पनी ने सिर्फ पांच साल पहले स्मार्टफोन बाजार में कदम रखा, लेकिन इसने इतने कम समय में ब्लैकबेरी बनाने वाली कम्पनी रिसर्च इन मोशन और एक अन्य स्मार्टफोन दिग्गज कम्पनी नोकिया को पीछे छोड़ दिया है.

एपल ने पिछले साल अप्रैल में अपना आईपैड बाजार में उतारा और अब तक 2.5 करोड़ से अधिक आईपैड बाजार में बिक चुके हैं.

यदि एप्पल इसी तरह नए-नए उत्पाद पेश करते रहे और अपने आईफोन और आईपैड में लगातार सुधार करते रहे और यदि इसके एक उत्पाद ही दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाएं, तो पूरी सम्भावना है कि यह 1000 अरब डॉलर वाली दुनिया की पहली कारोबारी कम्पनी बन जाएगी.

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