चीन ने रक्षात्मक सैन्य नीति जारी रखने की बात करते हुए दावा किया कि वह अपने किसी पड़ोसी देश और अन्य देशों पर प्रभुत्व स्थापित करने या उसके लिए कोई खतरा पैदा करना नहीं चाहता है.
उसने क्षेत्रीय विवादों को निपटाने के लिए हमेशा ही वार्ता की हिमायत की है. चीन ने वैश्विक विकास के लिए अपने आयात के जरिए एक विकास इंजन बनने की आशा जताई. अगले पांच साल में यह आयात आठ खरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है.
देश की कैबिनेट ने ‘चीन का शांतिपूर्ण विकास’ नाम से एक श्वेत पत्र जारी कर कहा है कि चीन और अधिक अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी उठाएगा क्योंकि इसका समग्र विकास हो रहा है. लेकिन ठीक इसी समय क्षेत्रीय सहयोग और पड़ोसी देशों से अच्छे संबंध को बढ़ावा दिया जाएगा.’ इसमें कहा गया है कि चीन ने पड़ोसी देशों के साथ सक्रियता से दोस्ताना संबंध बढ़ाया है और सौहार्दपूर्ण एशिया को बढ़ावा देने के लिए उनके साथ मिलकर काम कर रहा है.
श्वेतपत्र में कहा गया है, ‘चीन किसी भी देश के साथ हथियारों की होड़ में शामिल नहीं होगा और वह किसी अन्य देश के लिए कोई सैन्य खतरा नहीं पैदा करेगा.’
चीन ने संभवत: भारत के साथ सीमा विवाद और जापान एवं कई आसियान देशों के साथ समुद्री सीमा विवाद मुद्दे का हवाला देते हुए क्षेत्र के देशों से एक दूसरे का सम्मान करने, पारस्परिक विश्वास बढ़ाने और मतभेदों को दूर करने के लिए साझा मंच बनाने की अपील की. श्वेतपत्र में कहा गया है कि क्षेत्र विशेष पर दावों और समुद्री अधिकारों एवं हितों सहित अन्य विवादों को वार्ता एवं दोस्ताना वार्ता के जरिए निपटाना चाहिए.
इसमें कहा गया है, ‘चीन क्षेत्रीय प्रभुत्व या प्रभाव नहीं चाहता है और न ही क्षेत्रीय सहयोग से किसी देश को बाहर करना चाहता है. चीन की समृद्धि, विकास और दीर्घकालीन स्थायित्व अपने पड़ोसियों के लिए खतरा पैदा करने की बजाय एक अवसर प्रदान करता है.’
श्वेतपत्र के मुताबिक चीन अगले पांच साल में आठ खरब डॉलर मूल्य का माल आयात करने की योजना बना रहा है. उसके मुताबिक यह दुनियाभर के देशों के लिए व्यापार के अवसर पैदा कर सकता है. चीन का घरेलू बाजार दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में एक होगा और अनुमानित आयात आठ खरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है. श्वेतपत्र में कहा गया है, ‘यह सब अन्य देशों के लिए व्यापार के अधिक अवसर पैदा करेगा.’
चीन का आयात अगले पांच साल में अधिक बढ़ने की उम्मीद है जैसा कि इसने अपनी निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था को अधिक घरेलू खपत अर्थव्यवस्था के रूप में तब्दील करने की योजना बनाई है. इसमें कहा गया है कि चीन रक्षात्मक प्रकृति की सैन्य नीति को जारी करने के को लेकर प्रतिबद्ध है. हालांकि, विश्लेषकों के मुताबिक चीन की सेना, नौसेना और वायुसेना के तीव्र आधुनिकीकरण से इसके उद्देश्यों पर संदेह पैदा होने के मद्देनजर यह पत्र जारी किया गया है.
इसमें कहा गया है, ‘चीन विविध पारंपरिक और गैर पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों तथा अलगाववाद एवं आतंकवाद का सामना कर रहा है.’ यह उसकी सैन्य क्षमता के आधुनिकीकरण को तर्कसंगत ठहराता है. देश की भू सीमा 22,000 किलोमीटर लंबी है और इसकी तटरेखा 18,000 किमी लंबी है. पत्र के जरिए 91 अरब डॉलर के रक्षा बजट का बचाव करते हुए कहा गया है कि चीन का रक्षा खर्च वाजिब है और उसकी सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखकर ऐसा किया गया है.