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चीन ने कहा दक्षिण चीनी समुद्री क्षेत्र से दूर रहें विदेशी कंपनियां

अभी दो दिन ही हुए हैं भारत-चीन के बीच दक्षिण चीन के समुद्री क्षेत्र में तेल उत्खनन के मुद्दे पर बातचीत समाप्त हुए और चीन ने फिर एक बार कड़ा लहजा अपना लिया है और दे डाली है भारत को चेतावनी.

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चीन का झंडा
चीन का झंडा

अभी दो दिन ही हुए हैं भारत-चीन के बीच दक्षिण चीन के समुद्री क्षेत्र में तेल उत्खनन के मुद्दे पर बातचीत समाप्त हुए और चीन ने फिर एक बार कड़ा लहजा अपना लिया है और दे डाली है भारत को चेतावनी. चीन ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि वह नहीं चाहता कि विवादित जल क्षेत्र में विदेशी कंपनियां गतिविधियों में शामिल हों. चीन का कहना है कि ऐसा होने से उसकी संप्रभुता कमजोर पड़ती है.

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भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी विदेश द्वारा वियतनाम से लगे इस समुद्री क्षेत्र में तेल उत्खनन गतिविधियों में शामिल होने पर चीन को एतराज है और दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर मतभेद हैं.

पिछले सप्ताह बाली में पूर्वी एशिया और आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के बीच दक्षिण चीन समुद्री क्षेत्र का मुद्दा उठा था.

चीन विदेश मंत्रालय प्रवक्ता लिउ वीमिन ने मीडिया ब्रिफिंग में कहा चीन बार बार यह स्पष्ट कर चुका है कि वह नहीं चाहता कि इस विवाद में विदेशी ताकतें शामिल हों. वेन और सिंह की बातचीत में दक्षिण चीन समुद्री क्षेत्र का मुद्दा उठने के मामले में लिउ ने कहा, ‘जहां तक दक्षिण चीन समुद्री क्षेत्र का मुद्दा है, चीन कई बार अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है.’ प्रवक्ता ने कहा ‘हमें यह उम्मीद नहीं करते हैं कि बाहरी ताकतें दक्षिण चीन के समुद्री विवाद में शामिल हों और यह भी नहीं चाहते हैं कि विदेशी कंपनियां गतिविधियों में शामिल हों क्योंकि इससे चीन की संप्रभुता, उसके अधिकार और हित कमजोर होते हैं.’

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विदेशी कंपनियों के मामले में उनका इशारा ओएनजीसी विदेश द्वारा क्षेत्र में की जा रही तेल उत्खनन गतिविधियों की तरफ था. हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि दक्षिण चीन सागर में तेल एवं गैस उत्खनन विशुद्ध रुप से वाणिज्यिक गतिविधि है ओर यह विवाद अंतरराष्ट्रीय कानूनों और व्यवहारों के अनुरुप सुलझाया जाना चाहिये. चीन यह कहता रहा है कि यह विवाद वियतनाम, फिलीपींस, ब्रुनेई और मलेशिया के साथ द्विपक्षीय आधार पर सुलझाया जाना चाहिये.

लीउ, हालांकि, पिछले सप्ताह चीन और भारत के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई बैठक से काफी उत्साहित दिखे और कहा कि कोई भी ताकत दोनों देशों के संबंध और आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती.

उन्होंने कहा, ‘बातचीत के दौरान चीन ने भारत के साथ काम करने और दोस्ताना तथा सहयोगात्मक रास्ते पर आगे बढ़ते रहने और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने पर जोर दिया.’ लीउ ने कहा ‘व्यवसायिक सहयोग के क्षेत्र में दोनों देशों में व्यापक संभावनायें मौजूद हैं और हम उम्मीद करते हैं कि उपभोक्ता वस्तुओं, प्रौद्योगिकी, वित्त और सेवाओं के मुक्त प्रवाह के लिये अनुकूल परिस्थितियां निर्माण करते रहेंगे. इसके साथ ही दोनों देशों के लोगों और उनके फायदे के लिये उद्यमियों को निवेश करने और सहयोग बढ़ाने को प्रोत्साहित करते रहेंगे.’ उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष का भी यही मानना है कि दोनों पक्षों के बीच रणनीतिक सहयोग एवं भागीदारी दोनों देशों के लिये फायदेमंद है.

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