हजारे पक्ष पर लोकपाल मुद्दे का समाधान निकालने के लिए हुई बैठकों के बारे में तथ्यों को तोड-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाते हुए सरकार ने देर रात कहा कि संसदीय प्रक्रियाओं की अनदेखी नहीं की जा सकती. उसने कहा कि हजारे के प्रतिनिधियों के प्रस्तावों पर विचार करने के बाद यही बात उन्हें भी स्पष्ट कर दी गई.
फोटो: अन्ना के लिए सड़कों पर उतरे समर्थक
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने उन्हें सूचित किया कि सरकार ने इन प्रस्तावों पर विचार किया और कहा कि ऐसा करना संभव नहीं है.’ मुखर्जी ने कहा कि हजारे पक्ष ने मांग की थी कि सरकारी लोकपाल विधेयक को वापस लिया जाए और जनलोकपाल विधेयक को संसद में पेश किया जाए तथा इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजे बिना संसद के मानसून सत्र में ही पारित किया जाए.उन्होंने कहा, ‘अब विकृत नजरिया सामने आया है. सरकार के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है क्योंकि अगर सरकार ने अपना रुख बदला होता तो कल से वार्ता बहाल करने का कोई कारण नहीं था.’
अन्ना के आंदोलन पर विशेष कवरेज
मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने हजारे पक्ष के लोगों से कहा कि संसद की स्थायी समिति विचार कर सकती है और जो संशोधन वे चाहते हैं वह कर सकती है और समिति की प्रक्रिया तेज की जा सकती है. यह पूछे जाने पर कि क्या हजारे पक्ष से कहा गया कि अन्ना का स्वास्थ्य सरकार की चिंता नहीं है तो इस पर मुखर्जी ने कहा, ‘वे मेरे मुंह में शब्द डाल रहे हैं.’ मंत्री ने कहा, ‘मैं बार-बार अपील कर रहा हूं (हजारे अपना अनशन समाप्त करें). मैंने कल अपील की. मैंने आज अपील की.’सरकार के रुख में बुधवार शाम नाटकीय बदलाव आने के संबंध में हजारे पक्ष की ओर से लगाए गए आरोपों पर उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने अपना रुख बदला होता तो बातचीत बहाल करने का कोई कारण नहीं था.
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार हजारे पक्ष से बातचीत जारी रखेगी तो उन्होंने कहा, ‘हम उनके साथ चर्चा करने को तैयार हैं. लेकिन हम एक रास्ता ढूंढ सकते हैं. हम उसे करने का प्रयास करेंगे.’