scorecardresearch
 

इशरत फिदायीन थी या नहीं, बताए सरकार: भाजपा

इशरत जहां मामले में केन्द्र सरकार के रवैये को शर्मनाक बताते हुए भाजपा ने मंगलवार को मांग की कि वह इस खबर की पुष्टि करे कि क्या राष्ट्रीय जांच एजेंसी की टीम से पूछताछ के दौरान अमेरिकी आतंकी डेविड हेडली ने यह स्वीकार किया है कि मुठभेड़ में मारी गई उक्त महिला लश्करे तैयबा की फिदायीन थी.

Advertisement
X

इशरत जहां मामले में केन्द्र सरकार के रवैये को शर्मनाक बताते हुए भाजपा ने मंगलवार को मांग की कि वह इस खबर की पुष्टि करे कि क्या राष्ट्रीय जांच एजेंसी की टीम से पूछताछ के दौरान अमेरिकी आतंकी डेविड हेडली ने यह स्वीकार किया है कि मुठभेड़ में मारी गई उक्त महिला लश्करे तैयबा की फिदायीन थी.

Advertisement

पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा कि 15 जून 2004 को अहमदाबाद में मुठभेड़ में मारी गई इशरत के बारे में ‘मीडिया में हुए इस अहम खुलासे से केन्द्र के लिए यह लाजि़मी हो गया है कि वह इस स्थिति को स्वीकारे या नकारे.’ उन्होंने कहा कि इशरत के बारे में केन्द्र ने पहले गुजरात उच्च न्यायालय में दिए हलफनामे में स्वीकार किया था कि उसके लश्करे तैयबा से निकट के संबंध थे.

लेकिन बाद में वोट बैंक के दबाव में इसी मामले में उच्चतम न्यायालय में दिए हलफनामे में वह यह कहते हुए पलट गई कि ‘इस बात के प्रमाण या साक्ष्य नहीं मिले हैं कि इशरत के लश्करे तैयबा से संबंध थे.’

भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि वोट बैंक की खातिर लश्करे तैयबा की एक फिदायीन को सम्मान देने और गुजरात पुलिस को बदनाम करने में केन्द्र सरकार ने कोई गुरेज़ नहीं किया. इशरत मामले में देश और अदालतों को अब तक गुमराह करने का केन्द्र पर आरोप लगाते हुए प्रसाद ने कहा कि मीडिया में छपी खबरों के आलोक में सरकार के लिए यह बताना बहुत ज़रूरी हो गया है कि क्या हेडली ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी के दल को पूछताछ के दौरान वास्तव में यह सूचना दी थी कि इशरत लश्करे तैयबा की फिदायीन थी.

Advertisement

खबरों के अनुसार मुंबई आतंकी हमले की साजि़श में शामिल लश्करे तय्यबा से जुडे अमेरिकी आंतकवादी डेविड हेडली ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के समक्ष दावा किया है कि इशरत लश्कर की ‘मानव बम’ थी. बताया गया है कि हेडली ने यह जानकारी मुंबई आतंकी हमले के बारे में उससे पूछताछ करने शिकागो गए एनआईए और कानून विभाग के अधिकारियों की चार सदस्यीय टीम को दी है.

हेडली की यह सूचना गुजरात पुलिस और केन्द्र की सूचना से मेल खाती है. इशरत के परिवार वालों के इस आरोप गलत बताते हुए कहा है कि वह छात्रा थी और उसे आतंकी बताकर फर्जी मुठभेड़ में मारा गया है. उधर गुजरात पुलिस ने दावा किया है कि कुछ आतंकवादी राज्य के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमले के लिए गुजरात आये थे और इशरत उनमें शामिल थी.

इशरत, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लै और दो पाकिस्तानी नागरिक अमजद अली तथा ज़ीशान जौहर अब्दुल गनी 15 जून 2004 को मुठभेड में मारे गये थे. पुलिस रिकार्ड के मुताबिक इन सभी को अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके में नीले रंग की इंडिका कार में पकडा गया था. कार रोकने का संकेत करने पर उसमें बैठे लोगों ने पुलिस पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं, जिसके बाद हुई जवाबी कार्रवाई में ये सभी मारे गये थे.

Advertisement
Advertisement