ग्रेटर नोएडा के गांवों में किसानों पर पुलिसिया ज्यादती संबंधी राहुल गांधी के दावे का समर्थन करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने सच्चाई को सामने लाने के लिए सीबीआई जांच की मांग की.
आयोग ने कहा कि महिलाओं के साथ की गई छेड़छाड़, कपड़े फाड़े जाने और बलात्कार की शिकायतों तथा लोगों को जिंदा जलाए जाने की घटनाओं के बारे में उसे जानकारी मिली है. आयोग ने इसकी सीबीआई जांच की मांग की है.
राष्ट्रीय महिला आयोग की कार्यकारी अध्यक्ष यासमीन अबरार ने कहा कि वह इस बारे में एक प्राथमिक रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपेंगी. गौरतलब है कि यासमीन के नेतृत्व में एक तथ्य अन्वेषी दल ने प्रभावित भट्टा और पारसौल गांवों का दौरा किया था.
उन्होंने यहां संवाददाताओं को बताया कि मैंने खुद के नेतृत्व में 11 सदस्यीय दल का गठन किया है, जिसमें सेवानिवृत न्यायाधीश और समाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं. यह दल सोमवार और मंगलवार को दोबारा इन गांवों का दौरा करेगा तथा आगे की जांच करेगा एवं साक्ष्य जुटाएगा.
यासमीन ने कहा कि भूमि अधिग्रहण मुद्दे पर पुलिस और किसानों के बीच हुई झड़प के बाद पुलिसकर्मियों ने महिलाओं पर ज्यादती की. उन्होंने बताया कि कुछ महिलाओं ने आरोप लगाया कि उनके साथ बलात्कार किया गया, हालांकि रूढ़िवादी गांव की महिला होने को लेकर उन्होंने यह बात अपने तरीके से कही.
उन्होंने बताया कि महिलाओं ने कहा कि पुलिसकर्मी जबरदस्ती उनके घर में घुस गए, उनसे छेड़छाड़ की, उनके कपड़े फाड़ दिए. कुछ महिलाओं ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने उनके साथ इससे भी अधिक ज्यादती की.
यासमीन ने बताया कि एक महिला ने कहा कि 12-15 पुलिसकर्मियों ने उसे घेर लिया और उसका उत्पीड़न किया, उसके कपड़े फाड़ डाले. उन्होंने कहा कि हम यह पूछते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने स्थानीय अधिकारियों के खिलाफ क्यों कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई? इस घटना की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच होनी चाहिए, जो केवल सीबीआई कर सकती है और दोषियों को बगैर देर किए सजा दी जाए.
यासमीन ने कहा कि मैंने सुना है कि सबूतों को नष्ट किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि एक महिला ने कहा कि कई लोगों को गोली मार दी गई और उन्हें टीले पर फेंक दिया गया. यह पूछे जाने पर कि क्या दल ने वहां से हड्डियों के नमूने एकत्र किए, यासमीन ने कहा कि हम जुटाए गए सभी सबूतों को मीडिया के साथ साझा नहीं करेंगे.