एक तरफ टीम अन्ना यह दावा कर रही है कि अगर शीतकालीन सत्र में लोकपाल विधेयक पास नहीं हुआ तो 27 दिसंबर से दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना फिर अनशन पर बैठेंगे. वहीं दूसरी ओर विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम को लेकर भ्रम की स्थिति भी बन रही है क्योंकि एमसीडी के एक प्रमुख पदाधिकारी ने कहा कि नगर निगम ने इसका आयोजन रामलीला मैदान में करने की इजाजत नहीं दी है जबकि अन्ना पक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें इसके लिए मंजूरी मिल गई है.
अन्ना के आंदोलन पर विशेष कवरेज
एमसीडी की स्थायी समिति के अध्यक्ष योगेंद्र चंदोलिया ने कहा कि हजारे को अगले महीने विरोध प्रदर्शन करने के लिए रामलीला मैदान का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी गई है. अन्ना पक्ष ने कहा कि संसद के इस शीतकालीन सत्र में मजबूत लोकपाल विधेयक पारित नहीं किया गया तो हजारे विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगे.
अन्ना पक्ष के इस दावे के बारे में पूछ जाने पर कि उन्हें विरोध प्रदर्शन के लिए 27 दिसम्बर से पांच जनवरी तक मैदान का इस्तेमाल करने की इजाजत मिली है, भाजपा के वरिष्ठ स्थानीय नेता चंदोलिया ने कहा, ‘अभी तक कोई इजाजत नहीं दी गई है.’
जनलोकपाल नहीं तो कांग्रेस को वोट नहीं: अन्ना
हालांकि एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इजाजत देने से इनकार नहीं किया गया है, लेकिन इजाजत अभी दी भी नहीं गई है. उन्होंने कहा, ‘हमें अन्ना पक्ष की ओर से एक आवेदन मिला है जिसमें कहा गया है कि वे मैदान के इस्तेमाल की अनुमति चाहते हैं.’
अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने कहा कि वे शीतकालीन सत्र के बाद मैदान चाहते हैं. कोई तिथि नहीं बतायी गई है. हम उनके अनुरोध पर विचार कर रहे हैं. मैदान को किसी ने बुक नहीं कराया, उन्हें मैदान मिल सकता है.’
अन्ना पक्ष के प्रमुख सदस्य मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘हमने एससीडी से 27 दिसम्बर से इजाजत मांगी है और हमें मैदान को पांच जनवरी तक इस्तेमाल करने की इजाजत मिल गई है.’ अन्ना पक्ष के सूत्रों ने कहा कि उन्हें एमसीडी से इजाजत मिल गई है लेकिन यह दिल्ली पुलिस की ओर से ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ पर निर्भर करता है. तिथि के लिए मैदान बुक हो गया है. मैदान इस्तेमाल की इजाजत पुलिस की ओर से अनापत्ति प्रमाणपत्र पर निर्भर करेगी. हमें इस संबंध में एमसीडी की ओर से लिखित आश्वासन मिल गया है.’
यदि प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन का आयोजन होता है तो यह राजधानी दिल्ली में इस वर्ष का तीसरा प्रमुख विरोध कार्यक्रम होगा. पहले कार्यक्रम का आयोजन जंतर मंतर पर इस वर्ष अप्रैल में हुआ था जब अन्ना पक्ष ने सरकार को विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए संयुक्त समिति गठित करने पर मजबूर कर दिया था. हजारे पहले स्वयं ही घोषणा कर चुके हैं कि यदि मजबूत लोकपाल विधेयक पारित नहीं हुआ तो वह शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन 22 दिसम्बर को अपना आंदोलन फिर से शुरू करेंगे.
अन्ना पक्ष इस बात पर जोर दे रही है कि लोकपाल विधेयक के दायरे में निचले नौकरशाह, उच्च न्यायपालिका, सिटीजन चार्टर और राज्य स्तर पर लोकायुक्त के गठन को लाया जाए. अगस्त में मानसून सत्र के दौरान अन्ना रामलीला मैदान में 13 दिन तक अनशन पर बैठे थे.